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उत्तरप्रदेश | गोरखनाथ मंदिर में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतर्गत आयोजित संगोष्ठी के क्रम में पांचवे दिन ‘भारतीय संस्कृति एवं गो सेवा’ विषयक संगोष्ठी के मुख्य वक्ता सुग्रीव किलाधीश अयोध्याधाम से पधारे स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य ने कहा कि यह गोरक्ष पीठ सनातन संस्कृति की पहचान है. भारतवर्ष की जो भी भावनाएं, आस्था व श्रद्धा का विषय है सबका संरक्षण इस गोरक्ष पीठ के द्वारा किया जाता है.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एवं महंत योगी आदित्यनाथ उन सभी परंपराओं का अच्छी तरह से निर्वहन करते हैं. गौ माता की सेवा उनके दिनचर्या का अभिन्न अंग है. बिना गाय को ग्रास खिलाए स्वयं अन्न नहीं ग्रहण करने का उनका संकल्प है. हमारी संस्कृत में माता, पिता ,गुरु और गाय में देवता का भाव रखा जाता है. हमारे शास्त्रत्तें में कहा गया है कि जो वृद्धों की सेवा करता हैं उसकी आयु, विद्या, यश और बाल इन चारों की वृद्धि होती है. आज यह गोरक्षपीठ पूरे विश्व को शिक्षा दे रही है. पूरी दुनिया गोरक्षपीठ को भारतीय संस्कृति के केंद्र के रूप में देख रही है. कटक उड़ीसा से पधारे महंत शिवनाथ ने कहा कि भारतीय ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि समारोह में बोले स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्यसभ्यता का प्रभाव केवल भारतवर्ष में ही नहीं अपितु अफगानिस्तान से इंडोनेशिया तक व्यापक है .
चारधाम मंदिर उज्जैन से पधारे आचार्य रामस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि हमारा देश वह देश है जहां अतिथि के स्वागत में दूध, दही और छाछ दिया जाता था. परंतु बीच के काल खंड में गाय दर-दर भटक रही थी और गाय को काटा जा रहा था. परंतु हमारा सौभाग्य है कि आज हमारे देश और प्रदेश में मोदी और योगी जैसे नेता मिले हैं. अब गो हत्या को अपराध माना जा रहा है और गौ सेवा के लिए गौशालाएं खोले जा रहे हैं. सतुआबाबा आश्रम काशी से पधारे महंत संतोष दास ऊर्फ सतुवा बाबा ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत दिग्गविजयनाथ व राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने अपने पूरे जीवन भर गो सेवा तथा तो सुरक्षा के प्रयास करते रहे.
नीमच मध्य प्रदेश से पधारे महंत लालनाथ ने कहा कि हमारे शास्त्रत्तें में गो माता के ऊपर विशेष वर्णन मिलता है. कालीबाड़ी के महंत रविंद्रदास ने कहा कि भारतीय संस्कृत में गौ माता का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है. गौ माता में श्रद्धा रखकर यदि कोई कार्य करें तो सफलता अवश्य मिलती है. हमें पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ गौ माता की सेवा करनी चाहिए.
अध्यक्षीय उद्बोधन में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति प्रो. उदय प्रताप सिंह ने कहा कि भी भारतीय संस्कृति आध्यात्मिक धार्मिक सांस्कृतिक विचारों का संगम है. गाय के पंचगव्य से अनेक औषधि बनती है. पुरस्कृत गोसेवक एवं पूर्व पशुधन प्रसार अधिकारी वरुण कुमार वर्मा बैरागी ने गौ माता के ऊपर अपनी स्वरचित कविता सुनाई.
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Harrison
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