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Gorakhpur: पब्लिक टॉयलेट में लटक रहे ताले, दिख रही ‘शांति’
गोरखपुर: वर्ष 2024 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व शौचालय दिवस की थीम ‘शौचालय शांति का स्थान’ तय किया है.शांति का संदर्भ भले ही अच्छा हो लेकिन हकीकत में जिले के पब्लिक टॉयलेट में लटक रहे ताले और विवाद के चलते यहां ‘शांति’ ही दिख रही है.करोड़ों की लागत से बने ज्यादातर पब्लिक और व्यक्तिगत शौचालय का प्रयोग नहीं हो रहा है.टॉरगेट की जल्दी का आलम यह है कि कहीं मंदिर के सटकर पब्लिक टॉयलेट बनने से ताला बंद है, तो कहीं इसे निजी जमीन पर बना दिया गया.कई ऐसे भी हैं, जहां इनका उपयोग गंदगी के चलते नहीं हो रहा है.
वर्ष 2014 में केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच से मुक्ति के लिए प्रयास शुरू किया.नतीजा यह है कि गोरखपुर जिले में 7.11 लाख घरों में व्यक्तिगत शौचालय बन चुके हैं. पंचायती राज विभाग के आकड़ों के मुताबिक, सिर्फ 15 हजार व्यक्तिगत शौचालय के आवेदन लंबित हैं.वहीं, पंचायती राज विभाग ने 1266 पब्लिक टॉयलेट का भी निर्माण करा रखा है.इनमें से करीब 100 ऐसे हैं, जो किन्हीं न किन्हीं वजहों से बंद पड़े हैं.
भटहट सीएचसी में 8 लाख से बने पब्लिक टॉयलेट को ट्रायल के बाद 2022 में स्वास्थ्य विभाग को ट्रांसफर कर दिया गया.सीएचसी अधीक्षक डॉ. अविनाश कुमार सिंह का कहना है कि कर्मचारी नहीं होने से शौचालय का संचालन नहीं हो रहा है.इसी तरह गोला-कौड़ीराम मार्ग पर बार्ड नंबर दस में स्थित सब्जी मंडी में तीन साल पहले लाखों की लागत से बने पब्लिक टॉयलेट में लोकार्पण के बाद भी ताला लटका हुआ है.
व्यक्तिगत शौचालयों का नहीं हो रहा उपयोग कागजों में 7.11 लाख शौचालयों के निर्माण के साथ पूरा जिला ओडीएफ प्लस श्रेणी में है.तमाम ऐसे लोग हैं जो व्यक्तिगत शौचालय का उपयोग नहीं कर रहे हैं.
भटहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में करीब 8 लाख रुपये की लागत से बने पब्लिक टॉयलेट में तीन साल से ताला लटका है.किसी कर्मचारी की तैनाती नहीं होने के कारण इसका संचालन नहीं हो रहा है.अस्पताल में 150 से 200 मरीज रोज आते हैं.अस्पताल में इलाज को पहुंची मीरा साहनी ने बताया कि डॉक्टरों और कर्मचारियों के लिए शौचालय है, लेकिन मरीजों के लिए नहीं है.
सहजनवां ब्लॉक के सबसे बड़ी ग्राम पंचायत बुदहट में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 4,90 लाख से बामेश्वरनाथ मंदिर के बगल में बने पब्लिक टॉयलेट का ग्रामीण उपयोग नहीं करते हैं.ग्रामीण कहते हैं कि शौचालय का मुंह मंदिर की तरफ है.ऐसे में पांच साल से टॉयलेट में ताला है.ग्राम प्रधान संजय शुक्ला कहते हैं कि शौचालय का मुंह पूरब दिशा में हो, तो इसका उपयोग हो सकता है.
पब्लिक टॉयलेट में ताला बंद होने की शिकायतों पर पहले भी कार्रवाई हुई है.जहां भी ताला बंद है, जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.लोग व्यक्तिगत शौचालय का प्रयोग करें, इसके लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.
-नीलेश प्रताप सिंह, जिला पंचायत राज अधिकारी