उत्तर प्रदेश

Gorakhpur: ई-पास मशीन पर अंगूठे की लकीरें मिटने से बायोमेट्रिक नहीं हो सकी

Admindelhi1
13 Aug 2024 3:37 AM GMT
Gorakhpur: ई-पास मशीन पर अंगूठे की लकीरें मिटने से बायोमेट्रिक नहीं हो सकी
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हाथों की लकीरें दे रहीं धोखा

गोरखपुर: भटहट ब्लॉक के रहने वाले महेश राजभर ईंट-भह्वे पर मजदूरी करते हैं. राशन के लिए ई-केवाईसी की अनिवार्यता के बाद कोटे की दुकान पर पहुंचे तो ई-पास मशीन पर अंगूठे की लकीरें मिटने से बायोमेट्रिक नहीं हो सकी. यही हाल चौरीचौरा में गणेश वर्मा का है. अब महेश और गणेश जैसे सैकड़ों लोग बायोमेट्रिक अपडेट कराने के लिए आधार कार्ड सेंटरों के चक्कर लगा रहे हैं.

मजदूरी करने वाले तमाम ऐसे लोग हैं, जिनकी हाथों की लकीरें ई-केवाईसी के दौरान धोखा दे रही हैं. दो से तीन बार प्रयास करने के बाद कोटेदार वापस लौटा दे रहे हैं. दरअसल, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राशन कार्ड पर दर्ज सभी सदस्यों का ई-केवाईसी अनिवार्य कर दिया गया है. ऐसे में पूरे जिले मे करीब 33 लाख लाभार्थियों का ई-पास मशीनों से कोटेदार ई-केवाईसी कर रहे हैं. लेकिन 40 फीसदी से अधिक लोगों का ई-केवाईसी किसी न किसी वजह से रिजेक्ट हो रहा है.

बिछिया कैंप के संतोष श्रीवास्तव ई-केवाईसी को पहुंचे तो आधार कार्ड से लिंक मोबाइल नंबर पर ओटीपी गई. कोटेदार ने ओटीपी पूछा तो पता चला कि संतोष ने नंबर ही बदल लिया है. ऐसे में उन्हें आधार कार्ड से नये मोबाइल नंबर को लिंक कराने के लिए दौड़ लगानी पड़ रही है. पांच और 15 साल की उम्र को पूरा कर चुके बच्चों को भी आधार कार्ड बायोमेट्रिक नये सिरे से अपडेट करानी पड़ रही है. बता दें कि आधार कार्ड 5 साल और 15 साल बाद अपडेट कराना होता है. आराजी चिलबिलवां के कोटेदार रामनरेश ने बताया कि ई-केवाईसी में बच्चों एवं बुजुर्गों का अंगूठा नहीं लग पा रहा है. ऐसे में कार्ड धारकों को आधार कार्ड अपडेट कराने की सलाह दी जा रही है. कुछ ऐसे उपभोक्ता है जिन्होंने आधार कार्ड में जो मोबाइल नम्बर लिंक कराया है वह नम्बर या तो बन्द हो गया है या फिर बदल दिए हैं. ऐसे उपभोक्ताओं को भी ई-केवाईसी से वंचित होना पड़ रहा है.

कोटेदारों के यहां ई-पास मशीन से ई-केवाईसी कराने वालों की संख्या काफी बढ़ी है. ई-केवाईसी में तमाम ऐसे लोगों को दिक्कत हो रही है, जिन्होंने मोबाइल नंबर बदल लिया है. केवाईसी के दौरान आधार से लिंक मोबाइल नंबर पर ओटीपी जा रही है.

रामेन्द्र प्रताप सिंह, जिलापूर्ति अधिकार

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