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Gorakhpur: जांच में सही पाए गए दो साल के बैनामों की डीड में लगे सभी स्टांप
गोरखपुर: जिले में फर्जी स्टांप पेपर का मामला सामने आने के बाद शासन की ओर से दो साल के भीतर हुए बैनामों की रजिस्ट्री में लगे स्टांप की जांच पूरी हो गई है. गोरखपुर की किसी डीड में निबंधन विभाग ने दो साल के भीतर हुए बैनामों में कोई फर्जीवाड़ा नहीं पाया है. अधिकारियों का दावा है कि सभी स्टांप सही पाए गए हैं. बैनामों की डीड में भौतिक स्टांप की जांच उप निबंधकों के साथ साथ कोषागार से भी जांच कराई गई है. इसके बाद रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है.
बीते अप्रैल माह में फर्जी स्टांप का मामला सामने आने पर शासन ने गोरखपुर में दो साल और प्रदेश के अन्य जिलों में एक साल के भीतर हुए बैनामों की रजिस्ट्री में लगे स्टांप पेपर की जांच दिए. हालांकि गोरखपुर और मंडल के करीब सभी जिलों में दो साल से संपत्ति आदि की रजिस्ट्री में ई-स्टांप का प्रयोग किया जा रहा है. इस समय ट्रेजरी में जो भौतिक स्टांप अभी बचे हुए हैं. उनका प्रयोग सरकारी विभागों और कोर्ट में किया जा रहा है. लेकिन अप्रैल 2024 में पुलिस ने फर्जी स्टांप के मामले का पर्दाफाश किया, जिसमें गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर जनपदों के निवासी अभियुक्तों के पास से स्टांप छापने वाली मशीन, एक करोड़ 52 लाख 30 हजार रुपये के फर्जी स्टांप पेपर, यूपी के अलावा बिहार के गैर न्यायिक स्टांप पेपर के साथ रसीदी टिकट आदि मिले थे. इस मामले में शासन ने जांच के निर्देश दिए.
दो साल पहले तक हुई उन सभी संपत्तियों की रजिस्ट्री, जिनकी डीड में भौतिक स्टांप का इस्तेमाल हुआ है, शासन के निर्देश पर उनकी जांच की गई. इस दौरान किसी भी डीड में फर्जी स्टांप की पुष्टि नहीं हुई है.
- संजय कुमार दुबे, एआईजी स्टांप