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फाइल फोटो
विकास प्राधिकरणों की सालों से जो संपत्तियां नहीं बिक रही हैं उनकी कीमतें नए सिरे से तय करते हुए उसे बेचा जाएगा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विकास प्राधिकरणों की सालों से जो संपत्तियां नहीं बिक रही हैं उनकी कीमतें नए सिरे से तय करते हुए उसे बेचा जाएगा। जरूरत के आधार पर नो प्रॉफिट नो लॉस का फार्मूला भी अपनाया जाएगा। आवास विभाग के रिकार्ड के मुताबिक प्रदेश में 7000 ऐसी संपत्तियां बताई जा रही हैं।
क्या है समस्या
विकास प्राधिकरणों ने ऐसे स्थानों पर अपार्टमेंट बना डाले हैं जिनके फ्लैट नहीं बिक रहे हैं। इसके चलते उनका पैसा फंसा हुआ है। शासन स्तर पर पिछले दिनों ऐसी संपत्तियों के निस्तारित को लेकर प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने बैठक की थी। इसमें विकास प्राधिकरणवार उनसे ऐसी संपत्तियों के बारे में जानकारी मांगी गई। उनसे पूछा गया कि आखिर क्या कारण है जो फ्लैट नहीं बिक पा रहे हैं। इसमें बताया गया कि कुछ ऐसे स्थानों पर अपार्टमेंट बना दिए गए हैं जहां पर इसके खरीददार नहीं आ रहे हैं। इस पर उन्हें निर्देश दिया कि अलोकप्रिय संपत्तियों को बेचने के लिए तय फार्मूले को अपनाया जाए।
फंसा पैसा निकालें
विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिया गया है कि पूर्व निर्मित अनिस्तारित संपत्तियों के संबंध में उपलब्ध आधारभूत सुविधाओं के संबंध में सर्वे कराया जाए। इन संपत्तियों में मूलभूत व आधारभूत संरचाना से संबंधित कामों को कराया जाना जरूरी है, तो पहले उसको पूरा कराया जाए। इसके बाद इसका प्रचार करते हुए इसके निस्तारण की व्यवस्था की जाए। इनकी कीमतें तय करते समय यह ध्यान रखा जाए कि निजी बिल्डर द्वारा बेची जानी वाली संपत्तियों से कीमत कम हो, जिससे इसके खरीददार मिल सके।
भविष्य में न बनाए
विकास प्राधिकरणों को साथ में यह भी निर्देश दिया गया है कि भविष्य में योजना लाने से पहले सर्वे कराया जाए। इसमें यह देखा जाए कि योजना लाना कितना कारगर होगा। बिना जरूरत वाले स्थानों पर योजनाएं न लाई जाएं, जिससे विकास प्राधिकरणों का पैसा न फंसे। उन्हीं स्थानों पर योजनाएं लाई जाएं, जहां अधिक मांग है। जमीन न होने की स्थिति में भूमि जुटाव के लिए समझौते के आधार पर करार दिया जाए।
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