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Ghaziabad: लोग पंजाब नेशनल बैंक में पैसे जमा न कराएं: डीएम इंद्र विक्रम सिंह
गाजियाबाद: डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने अपील की है कि लोग पंजाब नेशनल बैंक में पैसे जमा न कराएं। उन्होंने यह अपील बैंक का साख-जमा अनुपात (क्रेडिट डिपोजिट रेशियो) कम हो जाने पर की है। यह जिले के बैंकों में सबसे कम 24.41 फीसदी पाई है। इसका अर्थ यह है कि बैंक के पास जमा धनराशि में से एक चौथाई ही उधार यानी ऋण के रूप में दी जा रही है।
साख जमा अनुपात की समीक्षा बैठक में डीएम ने नाराजगी भरे लहजे में कहा, पंजाब नेशनल बैंक न तो जनहित में काम कर रहा है और न ही जनपद के विकास में सहयोग कर रहा है। बैंक ने पिछली तिमाही (सितंबर तक) 15 हजार करोड़ जमा किए। इनमें से 3,662 करोड़ ही ऋण के रूप में दिए गए। सामान्य रूप से यह औसत 60 से 70 फीसदी होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि अगर बैंक में 100 करोड़ जमा हैं तो 60 से 70 करोड़ ऋण में दिए जाएं।
कई और बैंकों में जमा धनराशि के मुकाबले दिया गया ऋण यानी साख जमा अनुपात कम पाया गया। इनमें बैंक आॅफ बड़ौदा 27.43, यूनियन बैंक आॅफ इंडिया 31.64, इंडियन बैंक 32.39, पंजाब एंड सिंध बैंक 35.41 प्रतिशत है। डीएम ने सभी बैंकों के प्रबंधकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब मांगा है। बैंकों के क्षेत्रीय प्रबंधकों को इसमें सुधार लेने के निर्देश दिए। डीएम ने कहा कि ऋण के लिए जो भी आवेदन आ रहे हैं, उन पर त्वरित कार्रवाई की जाए। इस दौरान अग्रणी जिला प्रबंधक बुद्धराम मौजूद रहे।
छह महीने में मिला ऋण मिठाई लेकर पहुंची महिला: बैठक के दौरान एक महिला जिलाधिकारी के पास पहुंची। महिला ने बताया कि छह महीने 15 दिन बाद ऋण की धनराशि उसके खाते में पहुंची है। महिला ने जिलाधिकारी को मिठाई खिलाई और हनुमान चालीसा भेंट किया। जिलाधिकारी ने सभी बैंक अधिकारियों से कहा कि सभी को शर्म आनी चाहिए कि आवेदकों का इतना उत्पीड़न हो रहा है। एक महिला को अपना व्यवसाय करने के लिए लगभग साढ़े छह महीने बाद ऋण मिला है, वह भी अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मिला है। इस दौरान महिला भावुक होकर रो पड़ी।
रोजगार के लिए 40 फीसदी युवाओं को ही मिला ऋण: गाजियाबाद में युवाओं को रोजगार के लिए ऋण बहुत मुश्किल से मिल रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष की बात करें तो एक हजार से ज्यादा ने एक जिला एक उत्पाद, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना और मुख्यमंत्री युवा रोजगार सृजन योजना के तहत 1000 ने आवेदन किया। लेकिन, इनमें से 40 फीसदी यानी 400 को ही ऋण मिल सका। तमाम ऐसे मामले हैं जिनमें जिला उद्योग केंद्र से जो फाइल ऋण के लिए बैंक के पास भेजी गई, वह महीनो तक लटकी रही। इसके बाद ऋण देने से मना कर दिया गया। ऋण देने से बचने की वजह से ही बैंकों का सीडीआर बिगड़ रहा है।