उत्तर प्रदेश

महज 3 घंटे में पूरा होगा गाजियाबाद-कानपुर कॉरिडोर सफर, इन 9 जिलों से होकर गुजरेगा नया रास्ता

Renuka Sahu
10 May 2022 2:27 AM GMT
Ghaziabad-Kanpur corridor journey will be completed in just 3 hours, the new route will pass through these 9 districts
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फाइल फोटो 

केंद्र ने गाजियाबाद और कानपुर के दो औद्योगिक केंद्रों को जोड़ने वाली एक नई सड़क को मंजूरी दे दी है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्र ने गाजियाबाद और कानपुर के दो औद्योगिक केंद्रों को जोड़ने वाली एक नई सड़क को मंजूरी दे दी है। पश्चिम यूपी के नौ जिलों से होते हुए 380 किमी ग्रीनफील्ड आर्थिक गलियारे से दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय को तीन घंटे तक कम हो जाएगा। बता दें कि अभी गाजियाबाद और कानपुर के बीच यमुना एक्सप्रेसवे पर छह घंटे लगते हैं।

एनएचएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'सितंबर 2019 में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गाजियाबाद को कानपुर से जोड़ने वाले एक आर्थिक गलियारे की घोषणा की थी। विचार दो औद्योगिक शहरों के बीच यात्रा के समय में कटौती करना था। पिछले हफ्ते गुरुवार को मंत्रालय ने गलियारे के लिए अपनी मंजूरी दे दी। इसके साल 2025 तक पूरा हो जाने की संभावना है। यह गाजियाबाद-कानपुर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर की लंबाई 380 किलोमीटर होगी।'
गाजियाबाद-कानपुर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर नौ जिलों- गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, फर्रुखाबाद, कन्नौज, उन्नाव और कानपुर से होकर गुजरेगा। एक अधिकारी ने कहा कि अभी कानपुर और गाजियाबाद को जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेसवे पर चलने वाले यात्रियों को लगभग छह घंटे लगते हैं, जबकि एनएच-9 पर यात्रा करने वालों को कम से कम आठ घंटे लगते हैं। इसे में नया कॉरिडोर यात्रियों के लिए बेहद फायदेमंद होगा। यह यात्रा के समय को घटाकर केवल तीन घंटे कर देगा।
योजना के अनुसार, चार लेन के गलियारे को शुरू में पुलिया और अंडरपास पर छह तक बढ़ाया जाएगा। भविष्य में इसे आठ लेन तक चौड़ा करने के लिए जमीन अलग रखी जाएगी। इस कॉरिडोर से यात्रा के समय और लागत में कटौती कर कॉरिडोर उद्योगों के लिए वरदान साबित होगा।
उद्योगपति और गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के पूर्व उपाध्यक्ष एसके माहेश्वरी ने कहा, 'यह अभूतपूर्व आर्थिक लाभ लाएगा। कॉरिडोर यात्रा के समय और लागत को कम करेगा। जिसका हमारे मुनाफे पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। आदर्श रूप से इस हाईवे का निर्माण 30 साल पहले हो जाना चाहिए था।
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