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Ghaziabad: कांग्रेसियों ने डीएम के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश के नाम दिया ज्ञापन
गाजियाबाद: मस्जिद में घुसकर अराजकता फैलाने वाले हिंदुत्ववादी संगठन के लोगों को निर्दोष बता कर बरी करने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के जज के फैसले के विरोध में उतर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष शहनवाज आलम के निर्देश पर जिला अल्पसंख्यक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सलीम अहमद के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को डीएम के माध्यम से ज्ञापन दिया।
इस दौरान सलीम अहमद ने कहा कि कर्नाटक में 24 सितंबर 2023 को हिंदुत्ववादी संगठन के लोगों ने मस्जिद में ज़बरदस्ती घुसकर जय श्री राम के नारे लगाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा किया। 13 सितंबर 2024 को कर्नाटक हाई कोर्ट के जज एम नाग प्रसन्ना ने कीरथन कुमार व अन्य अराजक तत्वों को निर्दोष बता कर बरी कर दिया। यह फैसला आरएसएस से जुड़े अराजक तत्वों को मस्जिदों, चर्चों और गुरुद्वारों में घुसकर आतंक फैलाने के लिए प्रेरित करेगा। इससे पहले भी देश ने देखा था कि मुसलमानों को गोली मारने का नारा लगाने वाले पूर्व केंद्रीय मन्त्री अनुराग ठाकुर को दिल्ली हाईकोर्ट के जज चंद्रधारी सिंह ने बरी करते हुए कहा था कि मुस्कुरा कर लगाया गया यह नारा धमकी की श्रेणी में नहीं आता है। ऐ
से फैसलों से मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसा करने वालों का मनोबल बढ़ा जिससे मुसलमानों के ऊपर हमले भी बढ़े। अब कर्नाटक हाई कोर्ट के जज का यह कहना है कि इस कृत्य से पब्लिक ऑर्डर पर कोई असर नहीं पड़ता या इससे शांति व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ता इसलिए ये सेक्शन 295 ए के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है और इसलिए इस मामले में कोई भी कार्यवाई क़ानून का दुरूपयोग न्याय की विफलता और क़ानून का मज़ाक बनाना होगा। दंगाइयों के वकील की इस दलील को कोर्ट द्वारा स्वीकार कर लिया जाना कि मस्जिद एक सार्वजनिक स्थल है इसलिए वहां घुसने को अतिक्रमण नहीं कहा जा सकता, प्रथम दृष्टया ही गलत है, ऐसे फैसले के बाद तो कोई भी दंगाई किसी भी मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थलों में घुसकर गुंडागर्दी कर सकता है। हाल में ही बहराइच (उत्तर प्रदेश) की घटना जज प्रसन्ना के फैसले से प्ररित होकर की गई प्रतीत होती है।
न्यायालय - मामलों की सुनवाई और निर्धारण के लिए विधिवत गठित न्यायिक न्यायाधिकरण है न कि धार्मिक स्थल या संस्था तथा न्यायाधीश किसी धार्मिक पद पर नहीं, बल्कि एक धर्मनिरपेक्ष राज्य व्यवस्था है जिसका कोई अधिकृत धर्म नहीं है एवं उसका कर्तव्य है कि वह निष्पक्ष होकर निर्णय करें। हम ज्ञापन के माध्यम से आपको पुनः अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी याद दिलाकर आग्रह करते हैं कि न्यायालय/ न्यायाधीश अपने फैसलों में विधिक भाषा व मर्यादापूर्वक कार्यवाही सुनिश्चित करें ताकि न्यायपालिका की निष्पक्षता में लोगों का भरोसा क़ायम रह सके। ज्ञापन देने वालों में युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष आसिफ सैफी, पूर्व महानगर अध्यक्ष पंडित मनोज कौशिक, पूर्व महिला जिलाध्यक्ष संगीता त्यागी, वरिष्ठ नेता उमेश शर्मा, वरिष्ठ नेता अश्विनी त्यागी, लक्ष्मण जाटव, खोड़ा नगर अध्यक्ष रिजवान सैफी, एससी-एसटी महानगर अध्यक्ष आशीष प्रेमी सहित आदि कांग्रेसी शामिल रहे।