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बड़ी खबर
गोंडा। लगातार बारिश और नेपाल से छोड़े गए पानी की वजह से गोंडा में नदियां उफान पर आ गई हैं। प्रमुख रूप से घाघरा और सरयू खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। जिससे गोंडा के अलग अलग इलाकों के सौ गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है। जिससे लगभग 20 हजार की आबादी प्रभावित है। किसानों की फसल चौपट हो चुकी है। घर छोड़कर शेल्टर होम की ओर रूख करना पड़ा है। जबकि जानवरों के चारे की समस्या भी खड़ी हो गई है। दूसरी तरफ भिखारीपुर सकरौर तटबंध पर दबाव बढ़ता जा रहा है। विभागीय अधिकारी बांध के सुरिक्षत होने का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीण बांध की सुरक्षा को लेकर सशंकित नजर आ रहे हैं। नेपाल से 4 लाख 69 हजार 49 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जिससे गोंडा में घाघरा, सरयू और बिसुही नदी उफान पर है। इस साल चौथी बार गांव वालों को बाढ़ का सामना करना पड़ा है। कई मजरें टापू बन चुके हैं तो कई घरों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। जिससे लोग पलायन करने को मजबूर हैं। ऐली परसौली में तो 14 मजरों में रहने वाले 400 से ज्यादा परिवार बाढ़ से घिरे हैं। रुपईडीह ब्लॉक क्षेत्र के 4 दर्जन गांवों के लोगों का घर से निकलना कठिन हो गया है। बीरपुर भोज गांव होते हुए गेंधरिया गांव वाली सड़क के बीच में बिसुही की नदी के पुल के ऊपर पानी बह रहा है।
जिससे 4 दर्जन गांव जलमग्न होने के साथ ही लोगों का घरों से निकलना दुश्वार हो गया है। मूसलाधार बारिश से सड़कों के ऊपर लगभग 2 से 3 फीट पानी भरा है। बिसुही नदी में बाढ़ का पानी आ गया है। जिससे सैकड़ों गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है। आर्यनगर से खरगूपुर जाने वाली सड़क पर दर्जन भर जगह पर बिसुही नदी का सड़क के ऊपर से पानी भरा है। आर्यनगर से पृथ्वीनाथ मंदिर को जाने वाली सड़क पर अनंतपुर गांव से राजा जोत गांव तक 1 किलोमीटर सड़क के ऊपर पानी भरा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि बीते 3 दिन से ब्लॉक मुख्यालय से जिला मुख्यालय में जाने में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि इसके बारे में जिला प्रशासन को 2 दिन पहले अवगत कराया जा चुका है। इस संबंध में जिला प्रशासन द्वारा अभी तक कोई अधिकारी ग्रामीणों की सुध लेने नहीं आए हैं। बिहारी पुरवा के राम बहादुर यादव कहते हैं कि घर नदी में कट गया था। इस वर्ष में चौथी बार जब नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। मूसलाधार बारिश और हवाओं के झोंकों ने धान की फसलों को पूरी तरह से गिरा दिया था। जो बाढ़ के पानी में डूबकर खत्म हो जाएगी। अनिल व जोखू ने बताया कि बीते महीने आई बाढ़ में घर नदी में कट गया था। लेकिन बाढ़ का पानी घर में घुस गया और फसलें भी तबाह होने के कगार पर है। अली माझा बाबूराम पुरवा के अशोक सिंह कहते हैं कि कुछ फसलें बाढ़ के पानी में डूबकर कर खत्म हो गई तो कुछ नदी के तेज बहाव में मिट्टी के तले दब गई। जानवरों के लिए चारे का संकट भी बढ़ गया है। लेखपाल अंकित कुमार ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों के लिए 13 नावें लगाई गई है। यहां करीब डेढ़ सौ परिवार बाढ़ का दंश झेल रहा हैं। परास पट्टी मझवार,पुरवार, बहादुरपुर के हजारों परिवार बाढ़ की चपेट में आ चुका हैं। फिलहाल इन बाढ़ पीड़ित परिवारों को अब तक सरकारी सहायता नहीं मिल पाई है।
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