उत्तर प्रदेश

Gaziabad: साइबर ठगो ने महिला इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर दस लाख रुपये ठगे

Admindelhi1
14 Dec 2024 8:13 AM GMT
Gaziabad: साइबर ठगो ने महिला इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर दस लाख रुपये ठगे
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साइबर थाने में केस दर्ज

गाजियाबाद: साइबर अपराधियों ने महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर दस लाख रुपये ऐंठ लिए. जालसाजों ने पीड़िता के नाम से कनाडा भेजे जा रहे पार्सल में कई सिम कार्ड और ड्रग्स निकलने का हवाला दिया और खुद को मुंबई साइबर क्राइम से बताकर जांच के नाम पर रकम ट्रांसफर करा ली. ठगी का पता लगने पर पीड़िता ने साइबर थाने में केस दर्ज कराया है.

कविनगर एच-ब्लॉक में रहने वाली गार्गी गुप्ता सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. उनका कहना है कि 29 की अपराह्न करीब 3.39 बजे उनके पास अनजान नंबर से फोन आया. कॉलर ने खुद को डीटीडीसी के मुंबई स्थित मुख्य कार्यालय में वरिष्ठ कर्मचारी होने का दावा किया. उसने बताया कि उनके नाम से कनाडा भेजा जा रहा पार्सल जब्त कर लिया गया है. पार्सल में एसबीआई बैंक के छह क्रेडिट कार्ड, पांच किलो कपड़े और 200 ग्राम ड्रग्स निकली है. कॉलर ने कहा कि प्रतिबंधित और संदिग्ध सामग्री मिलने के कारण कंपनी के द्वारा उनके खिलाफ मुंबई साइबर अपराध विभाग में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. यब कहकर उसने उनकी कॉल मुंबई साइबर अपराध विभाग को ट्रांसफर कर दी. सामने वाले व्यक्ति ने खुद को मुंबई साइबर अपराध विभाग का अधिकारी बताते हुए उनके बयान दर्ज करने के लिए कहा.

गार्गी गुप्ता का कहना है कि कथित पुलिस अधिकारी ने बयान दर्ज करने और अन्य जांच के लिए उन्हें स्काईप आईडी दी और वीडियो कॉल पर ले लिया. सामने वाले व्यक्ति ने वीडियो कॉल पर उनके आसपास का नजारा देखा और घर का दरवाजा, लैपटॉप और सभी उपकरण बंद करने के लिए कहा. उसने कहा कि जांच के दौरान कोई तीसरा व्यक्ति बीच में नहीं आना चाहिए. इस दौरान सामने वाले व्यक्ति ने अपना कैमरा भी चालू कर दिया. वह पुलिस की वर्दी में था. गार्गी गुप्ता के मुताबिक बयान दर्ज करने के दौरान आरोपी ने उनके आधार कार्ड के चार अंतिम अंक बताए.

गार्गी के मुताबिक वर्दीधारी ने बताया कि मोहम्मद इस्लाम नाम के व्यक्ति ने तीन महीनों के भीतर उनके नाम पर 24 बैंक खाते खोले और उनमें मनी लांड्रिंग की रकम का आदान-प्रदान हुआ. इतना ही नहीं, मोहम्मद इस्लाम ड्रग तस्करी में भी शामिल है. इसके बाद वर्दीधारी ने उनकी कॉल डीसीपी कार्यालय में स्थानांतरित कर दी. इस बार भी सामने वाले व्यक्ति ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया और बैंक खातों के बारे में जानकारी हासिल की. उसने धमकी दी कि जांच की जानकारी किसी से साझा की तो उन्हें जेल हो सकती है . इस तरह फर्जी मुहर लगे वारंट दिखाकर जांच के नाम पर उनसे रकम ट्रांसफर करानी शुरू कर दी.

रातभर वीडियो कॉल पर रखा पीड़िता का कहना है कि जांच के नाम पर आरोपियों ने उन्हें लगातार वीडियो कॉल पर रखा और रात में भी वीडियो बंद नहीं करने दी. 30 की सुबह साढ़े नौ बजे जालसाजों ने बकाया रकम बैंक जाकर ट्रांसफर करने को कहा. इस तरह जालसाजों ने उनसे करीब दस लाख रुपये ऐंठ लिए.

कोई जांच एजेंसी नहीं करती इस तरह पूछताछ पुलिस कमिश्नर का कहना कि देश की कोई जांच एजेंसी न तो डिजिटल अरेस्ट करती है और न ही इस तरह से पूछताछ करती है कि एक ही कॉल पर पुलिस, सीबीआई, सीआईडी, आरबीआई आदि के अधिकारी आ जाएं.

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