उत्तर प्रदेश

Gaziabad: भाजपा अपने गढ़ गाजियाबाद में हुई और मजबूत

Admindelhi1
10 Jun 2024 10:50 AM GMT
Gaziabad: भाजपा अपने गढ़ गाजियाबाद में हुई और मजबूत
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भाजपा सांसद के निर्वाचित होने से गाजियाबाद का भगवा गढ़ और मजबूत हुआ है.

गाजियाबाद: यूपी में भले ही भाजपा का प्रदर्शन पिछले दो लोकसभा चुनाव जैसा नहीं रहा, मगर गाजियाबाद में अतुल गर्ग 3.36 लाख से भी अधिक मतों से जीते हैं. गाजियाबाद में पांचों विधानसभा के विधायक और महापौर पहले से ही भाजपा के हैं. फिर से भाजपा सांसद के निर्वाचित होने से गाजियाबाद का भगवा गढ़ और मजबूत हुआ है.

कांग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा ने सपा का साथ पाकर पिछले चुनाव से बेहतर प्रदर्शन किया है, मगर बसपा गाजियाबाद में जीत तो दूर इस बार भी नंबर दो की पार्टी भी नहीं बन पाई. राम मंदिर आंदोलन के बाद से हुए नौ लोकसभा चुनाव में भाजपा केवल एक बार (साल 2004) ही हारी है. डॉ. रमेश चंद तोमर साल 1991 से लगातार चार बार भाजपा के सांसद के रूप में लोकसभा पहुंचे. साल 2004 में उन्हें सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने हराया तो अगले चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने 91 हजार मतों से जीत दर्ज कर अपनी पार्टी को गाजियाबाद की सीट वापस दिलाई.

पिछले दो चुनावों में भी वीके सिंह भारी अंतर से जीते. दूसरी ओर सपा और बसपा कभी भी गाजियाबाद सीट नहीं जीत पाई है. पिछले चुनाव में सुरेश बंसल को मैदान में उतारकर सपा ने जीत का सूखा खत्म करने की रणनीति तैयार की थी. मगर सुरेश बंसल करीब पांच लाख मतों से परास्त हो गए. तीसरे नंबर पर रहीं कांग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा अपनी जमानत नहीं बचा पाई थीं. इस बार डॉली ने पांच लाख से अधिक मत पाकर अच्छी वापसी की है तो बसपा प्रत्याशी नंद किशोर पुंडीर एक लाख वोट भी हासिल नहीं कर पाए. बसपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई.

विपक्षी दलों को संगठन करना होगा मजबूत: साल 1991 के बाद से भाजपा और कांग्रेस का ही मुकाबला होता आया है. खांटी कांग्रेसी सुरेंद्र प्रकाश गोयल को छोड़कर कोई भी नेता भाजपा प्रत्याशियों को हरा नहीं पाया है. सुरेंद्र गोयल साल 2009 में चुनाव हार गए तो अगले चुनाव में कांग्रेस ने राज बब्बर को मैदान में उतारा था मगर वह भी वीके सिंह से 5.67 लाख मतों से परास्त हो गए थे. पिछले दो चुनाव से कांग्रेस डॉली शर्मा पर भरोसा जता रही है मगर कमजोर संगठन के चलते कांग्रेस की इस बार भी बड़ी हार हुई है. बसपा के प्रत्याशी को एक लाख मत भी नहीं मिलना बसपा सुप्रीमो की चिंता बढ़ाएगा. अतुल गर्ग के इस्तीफे से खाली होने वाली सीट पर उपचुनाव होना है. ऐसे में सपा, बसपा और कांग्रेस को दमदार प्रदर्शन करने के लिए अभी से तैयारियों में जुटना होगा.

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