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Gaziabad में पांच हजार मरीजों में 30 फीसदी को फेफड़े का कैंसर
गाजियाबाद: जिले में कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. निजी अस्पतालों से मिले आंकड़ों के मुताबिक जिले में पांच हजार से अधिक कैंसर मरीज इलाज करा रहे हैं. इनमें से 30 प्रतिशत मरीज फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित हैं.
इन मरीजों में 40 प्रतिशत ऐसे हैं, जिन्होंने कभी सिगरेट, बीड़ी को हाथ तक नहीं लगाया और वह ध्रूमपान करने वाले लोगों के संपर्क में आकर कैसंर जैसी बीमारी से ग्रस्त हुए.
फेफड़े के कैंसर आम तौर पर धूम्रपान से होता है. इसके लक्षण हमेशा शुरुआती अवस्था में नहीं दिखते. लेकिन जल्दी पता लग जाने से इलाज आसान हो सकता है. इसलिए अगर आपको कोई लक्षण या बदलाव नज़र आए तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से जांच करवाएं. अधिकतर समय खांसी रहना और साँस फूलने की समस्या सबसे आम कारण है. पुरुषों और महिलाओं में मौत का दूसरा सबसे आम फेफड़े के कैंसर है. वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ. ज्ञानेंद्र मित्तल बताते हैं कि जिले में कैसर पीड़ित मरीजों में 30 फीसदी फेफड़े के कैंसर के हैं. इनमें 80 प्रतिशत मरीज गंभीर स्टेज चार पर है. फेफड़े के कैंसर से 40 प्रतिशत महिलाएं है, जिन्होंने बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू को कभी हाथ नहीं लगाया. ज्यादा मरीज ध्रूमपान करने वाले लोगों के संपर्क में आकर ग्रस्त हुए हैं.
बीमारी के लक्षण:
● लगातार खांसी
● खांसी में खून आना
● सांस की कमी
● सीने में दर्द
● आवाज में बदलाव या
ये हैं कारण
● धूम्रपान और तम्बाकू
● धूम्रपान का धुआं
● रेडॉन गैस
● वायु प्रदूषण
● आनुवांशिकी
वजन घटने को गंभीरता से लें:
मणिपाल अस्पताल के मेडिकल हेमेटो ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ पीयूष वाजपेयी का कहना है कि बढ़ता वायु प्रदूषण भी इस बीमारी का कारण है. यदि किसी मरीज को खांसी, सांस की कमी, खूनी स्पुटम, छाती में दर्द और वजन कम होना की समस्या हो रही है तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और स्क्रीनिंग करानी चाहिए.
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं:
नेहरूनगर स्थित यशोदा अस्पताल के ओंकालॉजिस्ट डा. ब्रहमजीत सिंह ने बताया कि समय से इलाज लेकर मरीज को ठीक किया जा सकता है. इसमें जरूरी है कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और धूम्रपान छोड़कर लंग कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है.