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गोरखपुर: रामगढ़ताल एरिया में 2006 में जीडीए की जमीन पर रेल कर्मचारियों के लिए विकसित हुई कॉलोनी ‘रेल विहार फेज तीन’ के 70 डिसमिल एरिया में बना पार्क उपेक्षा का शिकार है. पिछले एक दशक से पार्क में किसी तरह के जीर्णोद्धार का काम नहीं हुआ. आरडब्ल्यूए की शिकायत के बाद भी किसी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई.
वहां जगह-जगह लोगों ने अपने मकान से निकला मलबा डाल रखा था. पाथ-वे पर उगी बड़ी-बड़ी घांस के चलते लोग उसमें टहलने का साहस नहीं जुटा पाते है. पार्क में न स्ट्रीट लाइट है न ही टॉयलेट. गेट के अलावा चाहरदीवारी भी क्षतिग्रस्त है. मच्छरों की पार्क में भरमार है. पार्क के चारों ओर छोड़े गए गलियारे पर स्थानीय नागरिकों का ही अतिक्रमण है. कुछ लोगों ने पार्क अंदर भी अतिक्रमण कर रखा है. कालोनी की रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राम प्रकाश सिंह का कहना है कि कई बार शिकायत के बाद भी कुछ हल नहीं निकला. पिछले दो साल से नगर निगम में चक्कर लगा रहे हैं लेकिन किसी का ध्यान इस पार्क पर नहीं है.
कहां टहलें, बंद रहता है रामलीला मैदान का गेट
मानसरोवर नगर वार्ड अधियारी बाग के लोगों ने ‘हिन्दुस्तान’ को फोन कर मांग की कि नगर आयुक्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उद्धार कराए गए सार्वजनिक स्थल रामलीला मैदान का ताला खुलवाना चाहिए. वहां गेट पर हमेशा ताला लगा रहता है. वहां काम करने वाली संस्था वैवाहिक कार्यक्रमों आदि के लिए उसका ताला खोलती है. जबकि स्थानीय बच्चों को खेलने के लिए कोई जगह नहीं है. बड़े बुजुर्ग भी टहलने व कसरत करने के लिए मानसरोवर मंदिर में जाते हैं. बच्चे स्केटिंग करते हैं. मंदिर प्रबंधन उदारतावश उन बच्चों को मना नहीं करता. हर दशहरा में मुख्यमंत्री अपने संबोधन में रामलीला मैदान की सराहना करते हुए अंधियारी बाग के लोगों को आह्वान करते हैं कि यहां सुबह शाम-व्यायाम, सैर करने और बच्चों के खेलने के लिए आए. लेकिन वहां ताला बंद रहने से लोग कैंपस में नहीं जा पाते. स्थानीय लोगों ने मांग किया कि रामलीला मैदान अंधियारी बाग को हर दिन आमजन के लिए खोला जाना चाहिए.
नगर निगम और जीडीए ने तमाम पार्कों को सुधारा है लेकिन हमारे पार्कों के प्रति उनका उपेक्षा भरा रवैया तकलीफ देने वाला है. इतनी बड़ी जगह को यदि सही तरीके से संवार दिया जाए तो बड़ी आबादी के लिए फेफड़े की तरह काम करेगा.
- त्रियुगी नारायण मिश्रा