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झाँसी: फर्जी असलहा लाइसेंस मामले के सूत्रधार रहे असलहा बाबुओं पर एसआईटी की जांच पूरी होने के पांच महीने बाद भी गैंगस्टर की कार्रवाई पूरी नहीं हो पाई है. संबंधित फाइल किसी न किसी आपत्ति के साथ उनकी फाइल लौटा दी जा रही है. एक बार फिर यह फाइल पुलिस के पास लौट आई है. पूरा मामला पुलिस और प्रशासन के बीच खींचतान के चलते उलझ गया है. उधर पुलिस अफसरों का कहना है कि फाइल से जुड़ी आपत्ति दूर कर फिर से भेजी जा रही है.
फर्जी असलहा लाइसेंस मामले में आरोपित बनाए गए असलहा बाबू रहे राम सिंह, पूर्व असलहा बाबू अशोक गुप्ता, रिटायरकर्मी विजय प्रताप श्रीवास्तव पर गैंगस्टर की कार्रवाई के लिए भेजी गई फाइल पांच महीने बाद फिर से आपत्ति लगाकर लौटा दी गई है. बीते कुछ महीनों से जिस तरह से पुलिस-प्रशासन के बीच यह मामला उलझा हुआ है उसको लेकर सवाल उठने लगे हैं कि इन बाबुओं को आखिर कौन बचा रहा है.
साल 2019 में अगस्त की शाम को गोरखनाथ पुलिस ने तनवीर अहमद नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया. उसके पास से असलहा का फर्जी लाइसेंस बरामद हुआ. पूछताछ आगे बढ़ी तो पता चला कि तनवीर अकेला नहीं है, जिसके पास फर्जी लाइसेंस है. इस तरह के कई लोग शहर में न सिर्फ लाइसेंस बल्कि असलहा लेकर घूम रहे हैं. जांच की आंच असलहा लाइसेंस बाबुओं तक भी पहुंची. पता चला कि डीएम दफ्तर के असलहा बाबू और कंप्यूटर ऑपरेटर की मदद से रवि गन हाउस से ये फर्जी शस्त्रत्त् लाइसेंस जारी हो रहे हैं. पुलिस ने इस प्रकरण में 15 लोगों को मुल्जिम बनाया. 20 मार्च 2021 को इनमें से लोगों पर गैंगस्टर की कार्रवाई की गई. दो पूर्व असलहा बाबू और एक रिटायर कर्मचारी छोड़ दिया गया. सरकारी कर्मी होने से तीनों पर चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई थी. फिलहाल जांच जारी रही और छह महीने पहले चार्जशीट दाखिल कर दी गई.
ये बनाए गए थे आरोपित विवेचना में आरोप की पुष्टि होने पर विजय प्रताप, विकास तिवारी, तनवीर, शमशेर आलम, प्रणय प्रताप, शमशाद, विजय प्रताप श्रीवास्तव, आजम लारी, शाहिद अली, अशफाक अहमद, विवेक मद्धेशिया, रवि प्रताप पांडेय, राम सिंह, अशोक गुप्ता और अजय प्रताप गिरी को आरोपी बनाया गया. लेकिन सरकारी कर्मियों के खिलाफ तब चार्जशीट नहीं दखिल की गई थी.