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मेट्रो पुल से लेकर ओवर ब्रिज और सड़कों को क्रॉस करने की आधुनिक तकनीक है 'स्टील स्पैन'
मेरठ न्यूज़: आरआरटीएस प्रोजेक्ट में जिन आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है उनमें स्टील स्पैन (पुल) भी शामिल हैं। भारी भरकम इन स्टील पुलों को आरआरटीएस प्रोजेक्ट में तकनीक के लिहाज से मील का पत्थर माना जा रहा है। रैपिड ट्रेन जिन जिन स्थानों पर मेट्रो पुलों अथवा ओवर ब्रिज व सड़कों को क्रॉस कर रही है उन सभी जगहों पर इन स्टील पुलों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। यह स्टील पुल बेहद वजनी हैं। गाजियाबाद स्टेशन के पास मेट्रो लाइन और सड़क मार्ग पुल को क्रॉस करने के लिए दिल्ली मेरठ कॉरिडोर पर जो स्टील पुल बनाया गया है उसका वजन 3200 टन है। यह 150 मीटर लम्बा पुल है। इसी पर से रैपिड गुजरेगी। तकनीक देखिए कि इस स्टील पुल को 25 मीटर ऊंचाई के तीन पिलर्स पर स्थापित किया गया है। आरआरटीएस प्रोजेक्ट में अब तक दिल्ली मेरठ के बीच लगभग आधा दर्जन स्टील पुल बनाए जा चुके हैं।
इनमें से दो स्टील पुल गाजियाबाद मेें और तीन स्टील पुल ईस्टर्न पेरिफेरल पर दुहाई और मेरठ आने जाने के लिए हैं। दरअसल यह स्टील पुल एक प्रकार से भारी भरकम इस्पात संरचना है और इसकी स्थापना क्रेन से टेंडम लिफ्टिंग के जरिए की जाती है। यह जो स्टील स्पैन (पुल) हैं, इनका इस्तेमाल अधिकतर नदियों, पुलों, रेलवे क्रॉसिंग, मेट्रो कॉरिडोर और एक्सप्रेस वे या फिर इसी प्रकार के अन्य बुनियादी ढांचों को क्रॉस करने के लिए किया जाएगा। अगर इसकी बनाने की विधि की बात करें तो पहले स्ट्रक्चरल स्टील के सेगमेंट को कारखाने में बनाया जाता है और फिर साइट पर लाकर इन सेगमेंट्स को स्टील स्पैन (पुल) के रुप में असेंबल किया जाता है। कुल मिलाकर उक्त तकनीक आरआरटीएस प्रोजेक्ट में मील का पत्थर साबित होने जा रही है।