उत्तर प्रदेश

देहदान से लेकर नेत्रदान तक दधीचि की राह पर गोरक्षनगरी, हर वर्ष करीब 15 देहदान की जरूरत

Harrison
17 Aug 2023 12:35 PM GMT
देहदान से लेकर नेत्रदान तक दधीचि की राह पर गोरक्षनगरी, हर वर्ष करीब 15 देहदान की जरूरत
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उत्तरप्रदेश | एम्स के एनॉटमी विभाग के प्रमुख डॉ. कुमार सतीश रवि बताते हैं कि संस्थान में एमबीबीएस की 125 सीटें हैं। हर 10 छात्र पर पढ़ाई के लिए कम से कम एक मृत देह की जरूरत होती है। ऐसे में कम से कम 13 मृत देह की हर वर्ष जरूरत होती है। इन्हीं शव का विच्छेदन कर छात्र चिकित्सक बनते हैं। एम्स को एक महीने में पांच देहदान हुआ है। जिसमें दो देह डेरा सच्चा सौदा से मिली। इसके अलावा बीएचयू से दो देह और कानपुर के दधिचि संस्थान से एक देहदान हुआ। इसी तरह बीआरडी मेडिकल कालेज को भी एमबीबीएस की 150 सीटों पर हर साल 15 बॉडी की जरूरत पड़ती है। लेकिन जागरूकता में कमी की वजह से उपलब्धता कम है।
मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2018 में कार्निया बैंक की शुरुआत हुई। नेत्ररोग के विभागाध्यक्ष डॉ. रामयश यादव के मुताबिक कॉलेज में अब तक 42 कार्निया प्रत्यारोपण की गई हैं। जिसमें गोरखपुर में डोनेशन से सिर्फ 8 कार्निया मिली हैं। शेष नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों ने बीएचयू, प्रयागराज मेडिकल कॉलेज और केजीएमयू से इंतजाम किया है। यहां अभी जागरूकता की जरूरत है।
शरीर को जलाकर राख करने के बजाए देहदान करें। यह एमबीबीएस छात्रों का प्रथम शिक्षक होगा। उसी की पढ़ाई कर छात्र भविष्य में बेहतर डॉक्टर बनेंगे। इससे दुनिया से जाने के बाद भी आप दुनिया को शिक्षा दे सकेंगे।
- डॉ. कुमार सतीश रवि, विभागाध्यक्ष, एनॉटमी, एम्स गोरखपुर
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