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उत्तर प्रदेश
बेशकीमती खैर के पेड़ों को काटते चार माफिया पकड़े, लाखों रुपये में है लकड़ी की कीमत
Admin4
26 Nov 2022 6:05 PM GMT

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मेरठ। मेरठ के हस्तिनापुर वन आरक्षित क्षेत्र से शनिवार को खैर के बेशकीमती पेड़ को काटते हुए वन विभाग के अधिकारियों ने उत्तराखंड के एक गिरोह के चार सदस्यों को पकड़ा है। जबकि, अन्य लोग भागने में सफल रहे। पुलिस ने इनके पास से एक डीसीएम व लाखों कीमत की लकड़ी बरामद की है।
क्षेत्रीय रेंजर नवरत्न सिंह ने बताया कि आरक्षित क्षेत्र के विदुर ब्लॉक में खैर के बेशकीमती पेड़ खड़े हुए हैं। इन पेड़ों की लगातार वन विभाग निगरानी करता रहता है। शनिवार को सूचना मिली कि कुछ लोग वन आरक्षित क्षेत्र में गुपचुप तरीके से दाखिल होकर खैर की लकड़ी तस्करी करने के लिए काट रहे है।
इस पर टीम ने मौके पर पहुंचकर देखा तो 15 से अधिक लोग पेड़ों को काटने में लगे थे। टीम को देखकर माफिया भागने लगे। टीम ने घेराबंदी कर चार लोगों को पकड़ लिया। जबकि, उनके साथी भागने में सफल रहे। टीम ने मौके से एक डीसीएम, पेड़ काटने के औजार व लाखों कीमत की लकड़ी बरामद की है।
रेंजर नवरत्न सिंह ने बताया कि पकड़े गए चारों माफियाओं ने बताया वह व उनके गिरोह के सदस्सय उत्तराखंड के रहने वाले है। वह यहां से पेड़ काटकर उत्तराखंड में तस्करी करते। बताया कि इस पेड़ की काफी अच्छी कीमत मिलती है। एक क्विंटल के आसानी से आठ से दस हजार रुपये मिल जाते है।
खैर की लकड़ी आमतौर पर अलीगढ़ जिले के खैर में सबसे अधिक पाई जाती है। साथ ही छत्तीसगढ़ व अन्य स्थानों पर भी इसके पेड़ काफी संख्या में है। खैर की लकड़ी का इस्तेमाल औषधि बनाने से लेकर पान व पान मसाला में उपयोग होने वाले कत्था, चमड़ा उद्योग, लकड़ी के औजार में प्रयोग होने वाली लकड़ी, प्रोटीन की अधिकता के कारण ऊंट और बकरी के चारे के लिए इसकी पत्तियों की डिमांड है। चारकोल बनाने में भी इस लकड़ी का उपयोग होता है।
1-राजपाल सिंह पुत्र नन्हे निवासी आदर्श नगर आकांक्षा गार्डन काशीपुर उत्तराखंड
2- मुकरम पुत्र शहीद अहमद निवासी मुजफ्फराबाद थाना फतेहपुर जिला सहारनपुर
3- आनंद सिंह पुत्र रामकुमार निवासी बसाई थाना काशीपुर उधम सिंह नगर उत्तराखंड
4- नैन सिंह पुत्र हरिराम निवासी प्रेम नगर देहरादून उत्तराखंड

Admin4
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