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सपा के संस्थापक सदस्य आजम खां के करीबी माने जाने वाले आबिद रजा नगर पालिका चेयरमैन भी रह चुके हैं। उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में शहर विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। इसके बाद वह अपनी पत्नी फात्मा रजा को नगर पालिका चेयरमैन बनवाने में भी कामयाब हो गए। वर्ष 2016 में अंडरग्राउंड बिजली केबल को लेकर आबिद रजा की तत्कालीन सांसद धर्मेंद्र यादव से तकरार हो गई।आबिद ने अंडरग्राउंड केबल में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए धर्मेंद्र यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
उस समय आबिद की पत्नी फात्मा रजा ने भी पालिकाध्यक्ष रहते हुए धर्मेंद्र यादव के खिलाफ खूब बयानबाजी की थी। धर्मेंद्र यादव से विवाद के कारण आबिद रजा को सपा से हटा दिया गया, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले आजम खां से करीबी संबंधों के चलते उनकी फिर से सपा में जोरदार वापसी हुई।उन्होंने फिर से सपा के टिकट पर शहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार वह भाजपा के महेश गुप्ता से चुनाव हार गए। 2019 का लोकसभा चुनाव आते-आते वह कांग्रेस में शामिल हो गए और चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व सांसद सलीम शेरवानी का साथ दिया।
इस चुनाव में धर्मेंद्र यादव सपा प्रत्याशी थे। धर्मेंद्र चुनाव हार गए और आबिद रजा की सपा से दूरियां काफी बढ़ गईं। 2022 का विधानसभा चुनाव आते-आते कई बार आबिद रजा के बसपा में शामिल होने की भी चर्चाएं चलीं, लेकिन वह बसपा में नहीं गए।सपा के सदस्य न होने हुए भी आबिद रजा शहर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की पुरजोर कोशिश करते रहे। पार्टी नेतृत्व से उनको टिकट का आश्वासन भी मिला, लेकिन ऐन मौके पर सपा ने हाजी रईस अहमद को प्रत्याशी बना दिया। ऐसे में आबिद चुनाव नहीं लड़ सके। सियासी रूप से कमजोर होने से बचने के लिए उन्होंने विभिन्न सीटों पर सपा के विरोध में चुनाव प्रचार भी किया। लंबे समय के बाद अब आबिद रजा की सपा में वापसी हो गई है। इस दौरान उनके साथ पूर्व सांसद सलीम शेरवानी भी रहे।
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