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झाँसी न्यूज़: उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क पूर्व राज्यमंत्री रतनलाल अहिरवार ने बसपा से इस्तीफा दे दिया है. निकाय चुनाव में उम्मीदवार की घोषणा से पहले पार्टी छोड़ने वाले जनपद में यह दूसरे नेता है. भाजपा से अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले रतन लाल अहिरवार दो बार बबीना सीट से विधायक रहे.
सपा में शामिल होने के बाद उन्होंने बबीना विधानसभा से चुनाव जीता. वहीं बसपा में शामिल होने के बाद विधायक बनने के बाद राज्यमंत्री बने. निकाय चुनाव में महापौर सीट अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित होने के बाद रतन लाल अहिरवार का बसपा छोड़ना भाजपा में जाने के संकेत दे रहा है. हालांकि उन्होंने अभी इस बात की पुष्टि नहीं की है.
निकाय चुनाव का बिगुल फुंकने के बाद जहां हर पार्टी नेता महापौर पद के लिये तैयारी में जुटा था. वहीं शासन ने महापौर सीट अनुसूचित जाति के आरक्षित होने के बाद सभी राजनीतिक दलों के सम्मीकरण बिगड़ गये. लगातार दो बार से भाजपा उम्मीदवार के महापौर चुनने एवं प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के लिये तीसरा चुनाव जीतना भी काफी अहम साबित हो गया है. ऐसे में आगे आ रहे लोकसभा चुनाव को देखते हुये भाजपा खेमें से अहिरवार उम्मीदवार उतारने की चर्चा क्या शुरू हुई, विभिन्न राजनीतिक दलों के अहिरवारों ने अपनी-अपनी पार्टी से इस्तीफा देना शुरू कर दिया है. इसमें पहले नम्बर पर सपा छोड़ने वाले पूर्व एमएलसी तिलक चन्द्र अहिरवार थे, तो दूसरे बसपा छोड़ने वाले रतन लाल अहिरवार. हालांकि दोनों नेताओं ने अभी तक भाजपा में शामिल होने की बात नहीं की है. लेकिन बिगड़ते व बदलते सम्मीकरण दोनों नेताओं को भाजपा में जाने के संकेत दे रहे हैं. पूर्व राज्यमंत्री रतनलाल अहिरवार कहते हैं कि बसपा संगठन को बढ़ाने के लिये कोई कार्य धरातल पर नहीं कर रही है, जिस कारण पार्टी का काम आगे नहीं बढ़ रहा है. जमीनी कार्यकर्ता भी अपने को पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.
पार्टी छोड़ता कोई, लेकिन भाजपा में खलबली क्यों?
सपा से तिलक चन्द्र अहिरवार ने पार्टी छोड़ी तो भाजपा नेताओं में खलबली मच गई. जैसे तैसे कयास लगाये जा रहे थे कि तिलक चन्द्र अहिरवार जल्द भाजपा में शामिल होकर महापौर पद की दावेदारी करेंगे. यहां तक ठीक था, लेकिन अब बसपा से रतनलाल अहिरवार ने पार्टी छोड़ी तो फिर भाजपा खेंमे में खलबली देखी गई. नेताओं ने दबी जुबान से कहना शुरू कर दिया कि वर्षों तक पार्टी के लिये खून-पसीना बहाने वालों की कदर नहीं, दूसरे दलों के नेताओं की ओर देख रहे?