उत्तर प्रदेश

भुलाया, न वापल लेने आए न खैर खबर ली

Admin4
29 July 2022 8:56 AM GMT
भुलाया, न वापल लेने आए न खैर खबर ली
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न्यूज़ क्रेडिट:amarujala

आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में अधिकतम 90 दिन तक मरीज को रखा जा सकता है, लेकिन यहां 142 मरीज ऐसे हैं, जो दो साल से उनके परिजन देखने तक नहीं आए हैं।

अपने तो अपने होते हैं... ये बात मनोरोगियों के परिजनों पर लागू नहीं होती। मानसिक संतुलन बिगड़ने पर जो 'अपने' उन्हें इलाज के लिए भर्ती करने आगरा के मानसिक अस्पताल लाए। वो उन्हें न दोबारा देखने आए, न उन्हें वापस ले जाने के लिए लौटे। ऐसे 142 मरीज मानसिक अस्पताल में 2 साल से अधिक समय से घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं।

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में अधिकतम 90 दिन तक मरीज को रखा जा सकता है। यहां 142 मरीज 2 साल से अधिक समय से भर्ती हैं। पांच मरीज ऐसे हैं जिन्हें पांच साल हो गए। स्वस्थ हुए कुल 96 मरीज घर लौटना चाहते हैं, लेकिन उनके अपने नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में मनोरोगी स्वस्थ होने के बाद भी समाज की मुख्यधारा में नहीं लौट पा रहे हैं। इनमें कोई किसी की बहन है, तो कोई मां, तो कोई पत्नी है। सबसे ज्यादा महिलाएं हैं।

तीन साल में बढ़े 26 मरीज

दो साल से अधिक समय से भर्ती मनोरोगियों की संख्या पिछले तीन साल में 20 फीसदी बढ़ी है। तीन साल में 26 मरीज बढ़े हैं। जहां 2019 में ऐसे मरीजों की संख्या 116 थी, वहीं 2021 में यह 142 हो गई है। इनमें 26 पुरुष एवं 116 महिलाएं हैं। 2019 में 19 पुरुष एवं 97 महिलाएं थीं। 2020 में यह संख्या 128 थी। इनमें 20 पुरुष एवं 108 महिला रोगी हैं।

पुलिस और प्रशासन की ले रहे मदद

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक प्रो. ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि दो साल से अधिक समय से भर्ती मरीजों को उनके परिजन लेने नहीं आ रहे। ऐसे मरीजों को घर पहुंचाने के लिए पुलिस व प्रशासन की मदद ले रहे हैं। 94 साल के एक बुजुर्ग को पुलिस से मदद से कानपुर में घर पहुंचाया है।

आंकड़े

- 838 बेड हैं मानसिक अस्पताल में

- 500 मरीज भर्ती हैं वर्तमान में।

- 50152 मरीज आए थे ओपीडी में।

- 6759 मरीज पहली बाए आए अस्पताल।

देश का सबसे बेहतर मानसिक संस्थान हो सकता है यहां- अरुण मिश्रा

पिछले महीने ग्वालियर गए थे। अब आगरा आए हैं। अगले महीने रांची जाएंगे। आगरा का मानसिक स्वास्थ्य संस्थान देश का सबसे बेहतर संस्थान बन सकता है। यहां 172 एकड़ में फैला परिसर है। आधुनिक मशीनें हैं। दवाइयां हैं, बस जरूरत है आर्थिक व्यवस्थाएं सुधारने की। ये कहना है राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस अरुण मिश्रा का। वह बृहस्पतिवार को फतेहाबाद रोड स्थित होटल में मानसिक रोगियों व अस्पताल की चुनौतियां विषय पर बोल रहे थे।

जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि व्यवस्थाओं में सुधार के लिए जिला जज की कमेटी निगरानी कर रही है। जस्टिस महेश मित्तल ने संस्थान की भूमि पर हुए अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन से कहा। कार्यशाला में जिला जज विवेक सिंगला, डीएम प्रभु एन सिंह, महानिदेशक स्वास्थ अनिल कुमार, प्रांजल यादव, एनएचआरसी संयुक्त सचिव एचएस चौधरी, मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह, सदस्य राजीव जैन, मानसिक संस्थान से प्रो. ज्ञानेंद्र कुमार, अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर आदि मौजूद रहे।


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