उत्तर प्रदेश

पौराणिक महत्व बताना चाहता है वन विभाग

Admin4
10 Aug 2022 10:48 AM GMT
पौराणिक महत्व बताना चाहता है वन विभाग
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न्यूज़क्रेडिट; अमरउजाला

वन विभाग का कहना है कि प्रभु श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवास में से 12 वर्ष चित्रकूट में गुजारे थे। चित्रकूट के जंगल में ही सीताहरण के दौरान रावण और जटायु के बीच युद्ध हुआ था। माना जाता है कि विश्व में जटायु का मंदिर केवल चित्रकूट में ही है।

जटायु संरक्षण केंद्र में चित्रकूट के सुंदरवन से जटायु का पहला जोड़ा लाया जाएगा। रामायणकाल में जटायु का संबंध चित्रकूट से होने की वजह से वन विभाग ऐसा करने जा रहा है। इस तरह वन विभाग इसे पौराणिक महत्व से जोड़ना चाहता है।

गोरखपुर वन प्रभाग के महराजगंज जिले में स्थित भारीवैसी में जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र बनाया जा रहा है। इसके निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए शासन की तरफ से दो किस्तों में 1.86 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। पांच हेक्टेयर में बन रहे जटायु केंद्र के लिए बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और प्रदेश सरकार के बीच 15 साल के लिए समझौता किया गया है।

वन विभाग का कहना है कि प्रभु श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवास में से 12 वर्ष चित्रकूट में गुजारे थे। चित्रकूट के जंगल में ही सीताहरण के दौरान रावण और जटायु के बीच युद्ध हुआ था। माना जाता है कि विश्व में जटायु का मंदिर केवल चित्रकूट में ही है। इसी पौराणिकता की वजह से अधिकारी चित्रकूट से जटायु के पहले जोड़े को संरक्षण केंद्र में लाना चाहते हैं।

डीएफओ विकास यादव ने बताया कि हमारी तैयारी है कि चित्रकूट के सुंदरवन से जटायु के पहले जोड़े को जटायु संरक्षण केंद्र में लाया जाए। इसके अलावा दुधवा वन्य क्षेत्र और प्रदेश के कुछ अन्य वन्य क्षेत्र से भी जटायु की तलाश की जाएगी। संवाद

तीन सितंबर को हो सकता है उद्घाटन

सितंबर के पहले सप्ताह में तीन तारीख को अंतरराष्ट्रीय जटायु जागरूकता दिवस मनाया जाता है। तैयारी है कि जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र का निर्माण तीन सितंबर तक पूरा कर लिया जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उद्घाटन करवाने की भी योजना है। निर्माण कार्य पूरा होते ही जटायु के जोड़े को केंद्र में लाया जाएगा।

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