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मेरठ क्षेत्र में नहीं बढ़ा वन्य क्षेत्र, अब भी 2.67 फीसदी भू-भाग हरा-भरा
मेरठ: शहर की लगातार बढ़ती आबादी शहर के पर्यावरण यानि हरियाली को निगलती जा रही है। स्थिति यह है कि आबादी के चलते शहर के हरियाली क्षेत्र पर अतिक्रमण होता जा रहा है और विकास के बहाने लगातार वन क्षेत्र को काटा जा रहा है इससे साल दर साल वन क्षेत्र में कमी आ रही है।
इस साल वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से फारेस्ट सर्वे आॅफ इंडिया की द्विवार्षिक रिपोर्ट के अनुसार मेरठ के कुल भू-भाग का 2.67 प्रतिशत हिस्सा ही वनाच्छादित यानि हरियाली से हरा भरा बचा हुआ है। जबकि राष्ट्रीय वन नीति में कुल भौगोलिक क्षेत्र के 33 प्रतिशत हिस्से को हरा-भरा होना चाहिए।
बता दें कि जनपद में वन क्षेत्र के बढ़ाने के लिए हर साल लाखों पौधे लगाए जाते हैं। साल 2022 में भी वन विभाग के साथ मिलकर एमडीए, आवास विकास, उद्यान विभाग, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, कृषि समेत अन्य विभागों की मदद से करीब 32 लाख पौधे लगाए गए थे, लेकिन इसके बाद भी हरियाली क्षेत्र में इजाफा नहीं हुआ है। अगर जनसंख्या की बात करें तो वर्तमान में शहर की जनसंख्या 38 लाख पार कर चुकी है।
वहीं 32 लाख पौधरोपण के बाद भी इस साल जिले का वन क्षेत्र 2.67 प्रतिशत तक सीमित है। डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि पिछले दो साल से वन्य क्षेत्र नहीं बढ़ पा रहा है। क्योंकि एनएचयूआई की ओर से काफी पेड़ कटवाए गए है। वन विभाग की ओर से दी जाने वाली रिपोर्ट में अभी वन्य क्षेत्र नहीं बढ़ सका है।
मेरठ के वन्य क्षेत्र पर नजर:
कुल भू-भाग 2559 वर्ग किलोमीटर
अति घना वन क्षेत्र 00 वर्ग किलोमीटर
मध्यम घना वन क्षेत्र 34 वर्ग किलोमीटर
खुला वन क्षेत्र 34.4 वर्ग किलोमीटर
कुल वन क्षेत्र 68.4 वर्ग किलोमीटर