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प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में एक मुर्गे की मौत चर्चा का मामला सामने आया है। ऐसे समय में जब लोग अपनों का साथ छोड़ देते हैं। उनके अंतिम संस्कार तक में शामिल होने का समय उनके पास नहीं रहता। इस समय में एक मुर्गे की मौत के बाद परिवार ने पूरे विधि-विधान के साथ उसका श्राद्ध किया। तेरहवीं का भोज आयोजित किया। मुर्गे की तेरहवीं के भोज का निमंत्रण मिलने पर लोग चौंके भी। सोच रहे थे कि आखिर इस भोज में होगा क्या? लेकिन, लोगों ने जब मेन्यू देखा तो दंग रह गए। पूड़ी, सब्जी, दाल, चावल, सलाद, चटनी जैसे तमाम आइटम इस भोज में थे, जो एक सामान्य भोज में हुआ करते हैं।
प्रतापगढ़ में एक तेरहवीं का अजीबो-गरीब मामला सामने आया। जिले के फतनपुर थानां इलाके का जहां मुर्गे की तेहरवीं उसके मालिक ने किया तो इलाके में सभी लोग हैरान हो गए। लाली मुर्गे की मौत के बाद विधिवत उसका 13 दिन में तेरहवीं का कार्यक्रम करते हुए 500 ग्रामीणों को भोज खिलाया गया। आपको विश्वास नहीं होगा, लेकिन तस्वीरे देख कर चौक जाएंगे। बेहदौल कला गांव निवासी डॉ. शालिकराम सरोज अपना क्लीनिक चलाते हैं। घर पर उन्होंने बकरी और एक मुर्गा पाल रखा था। मुर्गे से पूरा परिवार इतना प्यार करने लगा कि उसका नाम लाली रख दिया।
क्या है पूरा मामला
8 जुलाई को एक कुत्ते ने डॉ. शालिकराम की बकरी के बच्चे पर हमला कर दिया। यह देख लाली कुत्ते से भिड़ गया। बकरी का बच्चा तो बच गया, लेकिन लाली खुद कुत्ते के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गया। 9 जुलाई की शाम लाली ने दम तोड़ दिया। घर के पास उसका शव दफना दिया गया। यहां तक सब सामान्य था। लेकिन, जब शालिकराम ने रीति-रिवाज के मुताबिक मुर्गे की तेरहवीं की घोषणा की तो लोग चौंक उठे। इसके बाद अंतिम संस्कार के कर्मकांड होने लगे। सिर मुंडाने से लेकर अन्य कर्मकांड पूरे किए गए।
बुधवार सुबह से ही हलवाई तेरहवीं का भोजन तैयार करने में जुट गए। शाम छह बजे से रात करीब दस बजे तक 500 से अधिक लोगों ने तेरहवीं में पहुंचकर खाना खाया। इसकी चर्चा दूसरे दिन भी इलाके में बनी रही। परिजनों ने मुर्गे के प्रति अपना प्रेम भी इस मौके पर प्रदर्शित किया।
भाई जैसा था मुर्गा
शालिक राम की बेटी अनुजा सरोज ने बताया कि लाली मुर्गा मेरे भाइयों जैसा था। उसकी मौत के बाद 2 दिनों तक घर में खाना नही बना। मातम जैसा माहौल था। हम उसको रक्षाबंधन पर राखी भी बांधते थे। उसकी तेरहवीं का कार्यक्रम करते हुए 500 अधिक लोगों को भोजन कराया गया। भोजन में पूड़ी, सब्जी, दाल, चावल, सलाद, चटनी बनवाई गई। गांव के सभी लोगो को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया।
परिवार के सदस्य जैसा था लाली
बेहदौल कला गांव के बीडीसी वीरेंद्र प्रताप पाल ने बताया कि जब डॉ सालिकराम ने 13वीं के लिए निमंत्रण दिया तो विश्वास नही हुआ। लेकिन, 40 हजार रुपये खर्च कर शालिकराम ने कार्यक्रम किया। लोग मुर्गे के प्रति मालिक का प्रेम देख कर उनकी सराहना कर रहे हैं। इस मामले में शालिकराम ने कहा कि मुर्गा हमारे परिवार के सदस्य जैसा था। घर की रखवाली करता था। उससे सभी को अटूट प्रेम था। उसकी मौत के बाद आत्मा की शांति के लिए तेरहवीं का कार्यक्रम किया गया।