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उत्तर प्रदेश
हिंदी भाषा को पहली बार नेता जी ने ही दिलाया था सम्मान
Shantanu Roy
10 Oct 2022 11:49 AM GMT
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बड़ी ख़बर
लखनऊ/पटना। पांच दशक के राजनीतिक सफर में नेता जी ने कई अहम जिम्मेदारी संभाली थी। नेता जी भारत में सामाजिक न्याय की राजनीति के सबसे बड़े चैंपियन थे। उन्होंने पहली बार सीएम बनते ही आदेश जारी किया था कि सरकारी कामकाज हिंदी में होगा। इस पर उत्तर प्रदेश के नौकरशाही से जुड़े बड़े-बड़े अधिकारी भी सन्न रह गए थे। उस वक्त अंग्रेजी मीडिया ने मुलायम सिंह की काफी आलोचना की थी लेकिन हिंदी को सरकारी कामकाज की भाषा बनाने से अंग्रेजी का वर्चस्व कम हुआ। साथ ही सरकारी सेवा में रहने वाले गरीब और मध्यमवर्ग के युवाओं को भी अब अंग्रेजी सीखने से छुटकारा मिल गया। इस एक फैसले से नेता जी ने सरकारी सिस्टम में उच्च वर्ग की बादशाहत को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। वहीं मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश में चुंगी व्यवस्था खत्म करने का फैसला लिया था। इस एक फैसले से वैश्य समाज का दिल नेता जी ने जीत लिया था। चुंगी व्यवस्था खत्म करने से कारोबारियों को बहुत राहत मिली थी।
साल 1999 में कांग्रेस के सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनाए जाने के प्रस्ताव का मुलायम ने विरोध किया था। मुलायम ने उनके इटली मूल के होने का मुद्दा उठाकर मामले को नया रंग दे दिया था। नेता जी के इस फैसले को राष्ट्रवादियों ने भी खूब समर्थन दिया था। मुलायम सिंह यादव ने 2002 में राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार एपीजे अब्दुल कलाम का समर्थन किया था, हालांकि मुलायम सिंह यादव हमेशा बीजेपी और संघ परिवार के विरोधी रहे थे, लेकिन उन्होंने एनडीए कैंडिडेट एपीजे अब्दुल कलाम का समर्थन कर सबको चौंका दिया था। इसी तरह साल 2008 में यूपीए के शासनकाल में इंडो-यूएस सिविल न्यूक्लियर डील को नेता जी ने समर्थन देकर लेफ्ट को बड़ा झटका दे दिया था। देश के हित में फैसला लेकर मुलायम सिंह यादव ने अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया था। नेता जी के इन्हीं फैसलों की वजह से घोर राजनीतिक विरोधी भी उन्हें काफी पसंद करते थे। मुलायम सिंह यादव के पांच दशक के राजनीतिक सफर पर नजर डालने पर ये पता चलता है कि उन्होंने कितनी बड़ी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। नेता जी जैसे महापुरूष युगों में पैदा होते हैं। गांधी-लोहिया और जेपी के मूल्यों पर राजनीति कर नेता जी ने लाखों लोगों को गरीबी के अंधेरे से दूर निकाला। समाज के वंचित वर्ग को सम्मान से हक मांगने की ताकत दी। अब नेताजी के जाने के बाद उनके विचारों पर समाज को चलने की जरुरत है।
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