उत्तर प्रदेश

हिरणों के लिए मुसीबत बनी बाढ़, कहीं पानी में बहे तो कहीं खाने वाली घास के मैदान में जलभराव

Renuka Sahu
24 July 2022 1:59 AM GMT
Flood became a problem for deer, if it flows in water, then there is waterlogging in the grassland that eats
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फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूपी के मानसूनी मौसम और जंगल के अंदर से निकली नदियों में बाढ़ का पानी शाकाहारी जीवों पर भारी पड़ रहा है। खासकर हिरण प्रजाति के जानवर बहकर निकल रहे हैं। कतर्निया में तो एक बाघ घाघरा नदी में बहता दिखाई दिया था। हालांकि उसे बचा लिया गया। इन दिनों जंगल के कई इलाकों में बाढ़ का पानी भरा है। दरअसल पहाड़ी नदियां मोहाना, कर्णाली उफनाई है। शारदा का भी जलस्तर बढ़ा हुआ है। वहीं बफर जोन में घाघरा और शारदा दोनों उफान पर हैं। इनका पानी जंगली क्षेत्र में भी बढ़ रहा है। ऐसे में छोटे शाकाहारी जीवों के लिए मुश्किल है।

जानकारों का कहना है कि हिरणों की प्रजाति जंगल में नदी के किनारे, घास के मैदान में रहती हैं। नदी उफनाने से ये वन्यजीव उससे बचने के लिए जंगल के बाहर की ओर भागते हैं। गोला इलाके में एक पाढ़ा जंगल से निकलकर आया तो उसे कुत्तों ने नोच डाला। निघासन इलाके में एक चीतल गांव में आ गया, जिसे ग्रामीणों ने बचाया। इसके अलावा किशनपुर से लगे एक गांव में भी पाढ़े का बच्चा पहुंच गया था।
वन विभाग इसे लेकर चिंतित है। दरअसल जंगल से निकलने के बाद वन्यजीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है। उन पर कई बार दूसरे पशु हमला करते हैं तो कई दफा शिकारी भी उनको पकड़ ले जाते हैं। ऐसे में वन विभाग ने गांव वालों को सतर्क किया है कि यदि कोई शाकाहारी जीव जंगल से भटककर आता है तो वन विभाग को सूचित करना होगा। उसे बंधक बनाने, उसका शिकार करने या चोट पहुंचाने पर कार्रवाई की जाएगी।
वन विभाग ने ग्राम प्रधानों को भी अलर्ट किया है। दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशक संजय पाठक का कहना है कि नदियों, जलभराव आदि के क्षेत्र से कई बार जानवर बाहर आ जाते हैं। हम मानसून पेट्रोलिंग के दौरान भी उन जगहों को चिह्नित कर रहे हैं। साथ ही ग्रामीणों को भी सतर्क किया जा रहा है।
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