उत्तर प्रदेश

महंगाई और सख्ती के कारण झंडा और डंडा गायब

Admin Delhi 1
5 May 2023 2:30 PM GMT
महंगाई और सख्ती के कारण झंडा और डंडा गायब
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गाजियाबाद न्यूज़: निकाय चुनाव में इस बार महंगाई की मार दिख रही है. मतदान को दस दिन बचे हैं. शहर और देहात क्षेत्र में झंडे और डंडे गायब हैं. इतना ही नहीं बैनर, फ्लैक्स और होर्डिंग भी नजर नहीं आ रहे. फ्लैक्स और झंडा-डंडा निर्माताओं का कहना है कि नगर निकाय चुनावों में व्यापार के ज्यादा होने की उम्मीद थी लेकिन प्रत्याशियों को रुझान प्रचार सामग्रियों की ओर कम दिखाई दे रहा है.

जनपद में नौ निकायों में 1837 प्रत्याशी मैदान में हैं. नगर क्षेत्र में महापौर और बाकी आठ निकायों में अध्यक्ष पद के लिए 107 उम्मीदवार हैं. चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा है. इनको चुनाव चिह्न भी बाद में मिलता है. बड़ी राजनीतिक पार्टियों के झंडे, टोपी, पटका पहले से बने होते हैं, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवारों की चुनाव प्रचार सामग्री बाद में बनती है.

नवयुग मार्केट में फ्लैक्स का काम करने वाले संजय कुमार का कहना है कि इस बार धंधा काफी मंदा है. तीन गुना दो फिट के फ्लैक्स की कीमत सौ से 120 रुपये आती है. इस बार चुनिंदा प्रत्याशी ही फ्लैक्स छपवा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले चुनावों में प्रत्याशी पहले से ही फ्लैक्स बनाने के ऑर्डर दे देते थे, लेकिन इस बार बिजनेस नहीं है. बड़े फ्लैक्स काफी कम हैं. बड़ी पार्टियों के कुछ फ्लैक्स बनवाए गए हैं. निर्दलीय उम्मीदवार भी कम फ्लैक्स छपवा रहे हैं. उनके मुताबिक, पिछले चुनाव में जितने फ्लैक्स एक प्रत्याशी छपवाता था, अब सभी मिलकर उतने ऑर्डर दे रहे हैं. संजय के मुताबिक पहले चुनाव के दौरान केवल चुनाव सामग्री छापना ही मुश्किल हुआ रहता था, लेकिन अब चुनाव के साथ अन्य जॉब वर्क भी किया जा रहा है. पहले के मुकाबले रेट में थोड़ी बढ़ोतरी जुरूर हुई है, लेकिन उससे ज्यादा ऑर्डर में कमी आई है.

प्रशासन की सख्ती का भी असर

प्रत्याशियों का चुनाव खर्च तय है. प्रशासन की टीम प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय से लेकर डंडे, झंडे, पोस्टर और बैनर का हिसाब रख रही है. इसका आंकलन प्रत्याशी के चुनाव खर्च में जोड़ा जा रहा है. इसी कारण प्रत्याशी कम प्रचार सामग्री ले रहे हैं. घर-घर जाकर मिलकर चुनाव प्रचार पर जोर ज्यादा है.

निर्दलीय प्रत्याशियों की प्रचार सामग्री महंगी

बाबा प्रचार सामग्री के मालिक के मुताबिक, पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार महंगाई ज्यादा है. सबसे ज्यादा महंगाई निर्दलीय प्रत्याशियों की प्रचार सामग्री पर है. तय दलों के चुनाव चिह्न की प्रचार सामग्री बिना नाम के भी उपलब्ध है. वहीं, निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न मिलने के बाद ही प्रचार सामग्री बनवानी पड़ती है. उसकी चुनाव प्रचार सामग्री को तैयार करना महंगा पड़ रहा है. प्रचार सामग्री विक्रेता सतीश शर्मा के मुताबिक जितनी उम्मीद थी उतने ऑर्डर नहीं मिले. गाजियाबाद में चुनाव काफी हल्का है. कोई भी बड़ा प्रत्याशी चुनाव प्रचार सामग्री नहीं मांग रहे हैं. प्रशासन भी एक-एक डंडे और झंडे का हिसाब रख रहा है.

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