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- सियासी तलाक की पांच...
अरविंद मिश्रा/ लखनऊ: शनिवार को उत्तर प्रदेश के सियासत में उस वक्त सियासी तूफान आ गया जब समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओपी राजभर (OP Rajbhar) और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को पत्र लिखकर कहा कि वह जहां जाना चाहें जा सकते हैं. इस पत्र के बाद सियासी उबाल कुछ इस तरह आया कि ओपी राजभर ने फौरन ऐलान कर दिया कि उनकी राजनीतिक पारी बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर तय होगी. आइए हम आपको वह पांच बड़े राजनीतिक कारण बताते हैं, जिससे सपा और सुभासपा का गठबंधन में दरार इस कदर आ गई कि दोनों के रास्ते अलग हो गये.
1. सीटों के बंटवारे पर घमासान
समाजवादी पार्टी के साथ ओपी राजभर का गठबंधन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ था. उस वक्त राजभर ने टिकटों को लेकर खूब प्रेशर पॉलिटिक्स की. बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी परदे के पीछे वह बीजेपी के नेताओं के साथ मेल-मुलाकात का दौर चल रहा था. यहां तक की बीजेपी नेता दयाशंकर के साथ मुलाकात की तस्वीरों पर खूब सियासी बवाल मचा था. हालांकि दोनों पार्टियों ने टिकट शेयरिंग को लेकर रजामंदी बना ली थी.लेकिन नतीजों के बाद ओपी राजभर ने वंचितों, पिछड़ों और दलितों को कम टिकट दिये जाने का आरोप लगाकर अखिलेश पर सियासी वार करते रहे.
2. हार के लिए सपा को बताया था जिम्मेदार
विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उन्होंने कहा था कि ''हम तो उनके साथ 4 महीने पहले आए और उनके साथ मिलकर अपने इलाकों में ताकत दिखाई. लेकिन उनके इलाकों में ही हम पिट गए तो क्या कर सकते हैं?'' वहीं हालही में आजगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मिली हार के लिए भी सुभासपा ने समाजवादी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अगर आजमगढ़ आए होते तो यहां के परिणाम कुछ और होते.
3. एसी कमरे वाले बयान पर जब मचा तकरार
ओपी राजभर ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को एयर कंडीशनर की हवा छोड़कर घर से बाहर निकलने और कार्यकर्ताओं से मिलकर सपा को मजबूत करने की नसीहत दी थी. उन्होंने कहा था कि ''सपा अध्यक्ष को एसी की हवा लग गई है. उन्हें कैडर के बीच जाना चाहिए और उनसे भेंट करनी चाहिए. '' ओपी राजभर ने कहा था कि ''मैं जब उनसे मिलूंगा तो कहूंगा कि आप बाहर निकलिए और कार्यकर्ताओं से मिलिए.'' यही नहीं राजभर ने यह भी कहा था कि ''सपा अध्यक्ष को घेरे रहने वाले 'नवरत्नों' की वजह से ही विधानसभा चुनाव के बाद सरकार नहीं बन पाई. लोग उन्हें वोट देने को तैयार थे लेकिन वह खुद वोट लेने को तैयार नहीं थे. ''
4. फॉरच्यूनर कार पर उठे थे सवाल
अखिलेश यादव को एयर कंडीशनर में रहने वाला नेता बताने वाले ओपी राजभर उस वक्त सोशल मीडिया में ट्रोल हो गये जब यह बात सामने आई कि वह खुद समाजवादी पार्टी की दी हुई एसी कार में चलते हैं. बताया गया कि सपा ने राजभर को गिफ्ट में फॉर्च्यूनर कार भेंट की थी. यह कार समाजवादी पार्टी के सचिव के नाम पर पंजीकृत थी. हालांकि बाद राजभर ने कार वापस कर दी थी.
5. राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सुभासपा के कई नेताओं ने क्रॉस वोटिंग की थी. इसके बाद से ही यह तय हो गया था कि अब ओपी राजभर समाजवादी पार्टी गठबंधन में ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिकेंगे. हालांकि शनिवार को उन्होंने क्रॉस वोटिंग करने वाले नेताओं के नाम का खुलासा नहीं किया. बताया यह भी जा रहा है कि ओपी राजभर के सियासी बयान कई बार सपा गठबंधन के सामने मुश्किल खड़ी करते रहे हैं. माना यह भी जा रहा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में 6 सीट जीतने वाली सुभासपा से अखिलेश यादव को वह पॉलीटिकल माइलेज नहीं मिला, जिस वोटबैंक की वह उम्मीद लगाये बैठे थे.