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झाँसी: बांदा में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. पहले तो भर्ती की गई महिला की बीएचटी नहीं बनाई और जब मामले का खुलासा हुआ तो पर्दा डालने के लिए दस्तावेजों में हेराफेरी कर दी. महिला की मौत के बाद उसे जिंदा शख्स के साथ एक ही बीएचटी में शामिल कर दिया. हकीकत सामने तब आई जब मृतका के परिजन मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए जिला अस्पताल में भटके. सीएमएस बोले मामला गंभीर है, इसकी जांच कराई जाएगी.
27 मई की रात जरैली कोठी निवासी कल्लू खां की पत्नी मुन्नी बेगम के सीने में तेज दर्द हुआ, जिस पर उन्हें जिला अस्पताल लाया गया. ओपीडी के पर्चे के आधार पर उन्हें भर्ती कर लिया गया. 45 मिनट तक इलाज के बाद उनकी मौत हो गई. डॉक्टरों ने मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए परिजनों को पर्ची थमा दी. एक महीने बाद परिजन मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि मुन्नी बेगम नाम की कोई महिला भर्ती ही नहीं की गई. रिकॉर्ड रूम में देखा तो मुन्नी की भर्ती संबंधी बीएचटी (बेड हेड टिकट) नहीं मिली. परिजनों ने डॉक्टरों से पूछा तो जवाब नहीं दे सके. 27 मई की रात मुन्नी के बाद तीन बजे जमालपुर के बरातीलाल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसकी बीएचटी संख्या 12428 थी. ऐसे में बरातीलाल की बीएचटी में ही मुन्नी को भर्ती दिखा दिया गया. समय रात 1 20 डाल दिया गया. इसके बाद मुन्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हो सका.
ओपीडी के पर्चे पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सकता. इसके लिए बीएचटी आवश्यक है. मामला संज्ञान में आया था, जिसकी बीएचटी बनवाई गई थी. एक ही बीएचटी पर पहले मुर्दा और फिर जिंदा मरीज को भर्ती किया गया, इस बात की जानकारी नहीं है. जांच कराई जाएगी.- डॉ. एसएन मिश्र, सीएमएस जिला अस्पताल बांदा