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त्योहार होली बाजार में चढ़ा रंगों का कारोबार, 300 करोड़ कमाई की उम्मीद
लखनऊ न्यूज़: शहर के थोक बाजार यहियागंज में होली का रंग चढ़ने लगा है. दूसरे शहरों व छोटे दुकानदारों ने थोक मंडी में पहुंचकर रंग, अबीर, गुलाल की खरीद शुरू कर दी है. इस बार छत्तीसगढ़ के रंग व गुलाल की काफी मांग हो रही है. हालांकि छत्तीसगढ़ के आगे हाथरस के रंग की मांग भी कम नहीं हुई है.
यहियागंज थोक बाजार के कारोबारी शेखर गुप्ता ने बताया कि गुलाल 12 रंग में बाजार में हैं. सबसे ज्यादा लाल, हरा, पीले गुलाल की मांग रहती है. छत्तीसगढ़ के एक ब्रांड की काफी मांग छोटे व दूसरे शहरों के दुकानदारों की ओर से आ रही है. यह लैब टेस्टेड व नॉन टॉक्सिक होता है. यहियागंज के ही थोक व्यापारी शिवांश गौड़ ने बताया कि इस बार 5800 रुपए से 9000 रुपए प्रति कुंतल की दर से थोक बाजार में गुलाल बिक रहा है. पानी में घोलने वाला गुलाबी व हरा रंग 2000 रुपए किलोग्राममंडी में है. गुलाल और रंग का कारोबार करीब 300 करोड़ का होने की उम्मीद है.
20 जिलों में होती आपूर्ति
यहियागंज के थोक दुकानदार मनीष गुप्ता ने बताया कि इस मंडी से लखनऊ के अलावा बाराबंकी, सीतापुर, रायबरेली, लखीमपुर, गोंडा, बस्ती, बहराइच, अयोध्या, बलरामपुर, अमेठी, सुलतानपुर, हरदोई समेत 20 जिलों में रंग, अबीर व गुलाल की आपूर्ति होती है.
में करीब 150 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार हुआ था
2022
में 50 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ था
2021
● इस बार 200 करोड़ रुपए गुलाल अबीर व 100 करोड़ रुपए पानी वाले रंग का व्यापार होने का आसार है
● थोक रेट में करीब बीस फीसदी बढ़ोतरी है
रंग कारोबारी शेखर ने बताया कि हाथरस में स्टार्च के बेस से गुलाल बनाया जाता रहा है, जिसके रंग फूल और पत्तियों से लिए गए हैं. चुकंदर से लाल, पालक से हरा, हल्दी से पीला, टेसू के फूल से नारंगी रंग में प्रयोग किया जाता है. रंग और गुलाल दोनों ही आरारोट से बनाया जाता है. यह त्वचा के लिए नुकसानदेह नहीं हैं. वहीं कारोबारी शिवांश गौर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में गुलाल ज्यादातर मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों से बनाया जाता है.