उत्तर प्रदेश

महिला जननांग हटाया, कुदरत की नाइंसाफी से डॉक्टरों ने दिलाई मुक्ति

Admin4
23 Aug 2022 1:48 PM GMT
महिला जननांग हटाया, कुदरत की नाइंसाफी से डॉक्टरों ने दिलाई मुक्ति
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

अंबेडकरनगर का 21 साल का युवक अब अपनी इच्छानुसार पहले की तरह पुरुष की जिंदगी जी सकेगा। वह मन से ही नहीं, बल्कि शरीर से भी पुरुष बना रहेगा। यह संभव हुआ केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विश्वजीत सिंह की टीम की बदौलत।

अंबेडकरनगर के एक 21 साल के युवक को कुदरत की नाइंसाफी से डॉक्टरों ने दिलाई मुक्ति दिला दी है। अर्धता का अभिशाप भोग रहे इस युवक के अर्ध विकसित महिला जननांगों को हटाकर उसे पूर्ण पुरुष बना दिया है। बचपन से ही वह पुरुष की तरह जीता आ रहा है, अब तन भी उसका साथ देगा।

चिकित्सकीय भाषा में इस प्रक्रिया को फैलस रीकंस्ट्रक्शन कहते हैं। अब उसे हार्मोनल थैरेपी दी जाएगी। यह संभव हुआ केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विश्वजीत सिंह की टीम की बदौलत। युवक जब 21 साल का हुआ तो उसने अपने शरीर में कई बदलाव महसूस किए।

स्थानीय डॉक्टरों को दिखाने के बाद उसने एसजीपीजीआई व दिल्ली के अस्पतालों में चक्कर लगाया। मगर आर्थिक समस्या होने पर उसने केजीएमयू का रुख किया। यहां यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विश्वजीत सिंह की ओपीडी में पहुंचा। प्रो. विश्वजीत ने अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन सहित अन्य जांच कराई।

उसके जननांग का बाहरी हिस्सा पुरुष का था, लेकिन आंतरिक हिस्सा महिला का। उसका एक अंडकोष बाहर था, जबकि दूसरा अंदर की तरफ। अंदर की तरफ महिला जननांग बना था। बच्चेदानी, अंडाशय, फेलोपियन ट्यूब आदि अर्ध विकसित स्थिति में थे। यह एक तरह का जेनेटिक डिसआर्डर है। इस तरह के मरीज को चिकित्सकीय भाषा में मिक्सगोलेडल कहा जाता है।

महिला के थे गुणसूत्र

प्रो. विश्वजीत ने बताया कि युवक का गुणसूत्र अनुवांशिक रूप से (एक्स एक्स) महिला का था। काउंसिलिंग में उसने कहा कि वह बचपन से पुरुष की तरह जीता रहा है। आगे भी यही जिंदगी जीना चाहता है। उसकी इच्छा को देखते हुए उसे पुरुष बनाने का फैसला लिया गया। सर्जरी करके सभी महिला जननांग निकाल दिए गए। उसके अर्धविकसित पुरुष जननांग को सर्जरी (फेलोप्लास्टी) करके पूरा आकार दिया गया। उसके अंडकोश को भी दुरुस्त कर दिया गया है। अब वह पुरुष की तरह गतिविधि महसूस कर रहा है।

एक लाख में किसी एक में यह समस्या

प्रो. विश्वजीत ने बताया कि अभी तक के हालात के मद्देनजर उक्त युवक शारीरिक संबंध बनाने में सक्षम है। हालांकि शुक्राणु कितने होंगे, यह जांच के बाद पता चलेगा। आमतौर पर करीब एक लाख से अधिक व्यक्ति में किसी एक में इस तरह की समस्या पाई जाती है। केजीएमयू में मरीज से सिर्फ कुछ प्राथमिक जांच का खर्च ही लिया गया। बाकी खर्च विश्वविद्यालय ने उठाया है। विभाग की ओर से इस तरह की पहली सर्जरी की गई है।

यह टीम थी शामिल

सर्जरी करने वाली टीम में प्रो.विश्वजीत सिंह के साथ डॉ. नवनीत, डॉ. जयेश, डॉ. अंकुश, डॉ. कृष्णा और एनेस्थिसिया विभाग से डॉ. रजनी गुप्ता की टीम शामिल थी।

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