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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : चार बेटियों और एक बेटे को जतन से पालने वाले वाले 66 वर्षीय ओमप्रकाश वैश्य को इल्म भी नहीं रहा होगा कि उनके बुढ़ापे की लाठी ही एक दिन उन्हें दगा देगी। रिटायर होने के बाद ओमप्रकाश राजरूपपुर के पुश्तैनी मकान में परिवार के साथ रहने लगे। पत्नी की मृत्यु हो गई तो बुजुर्ग पिता बच्चों पर बोझ बन गए। बच्चों ने उन्हें घर से निकाल दिया। पिता ने भूख हड़ताल कर मोर्चा खोल दिया। मामला पुलिस तक पहुंचा तो वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण कल्याण अधिनियम 2007 के तहत उन्हें घर में प्रवेश दिलाया गया।
ओमप्रकाश वैश्य का राजरूपपुर में पुश्तैनी मकान है। इस मकान में ओमप्रकाश अपने पांच बच्चों के साथ रहते थे। कुछ महीने पहले ओमप्रकाश के भाई प्रकाश चंद्र अग्रहरि को सूचना मिली कि उनके भाई को खाना पीना नहीं मिल रहा है। बच्चों ने कमरे में बंद कर रखा है। वह बाई का बाग से अपने परिजनों के साथ राजरूपपुर पहुंचे तो बात सही पाई। ओम प्रकाश को अस्पताल पहुंचाया। उनके ठीक होने के बाद जब घर ले गए तो बेटे और बेटियों ने निकाल दिया। इससे नाराज ओमप्रकाश घर के बाहर भूख हड़ताल पर बैठ गए। बच्चों का दिल तब भी नहीं पसीजा और बुजुर्ग पिता को प्रवेश नहीं दिया। 21 जून को ओमप्रकाश व उनके भाई ने ओमप्रकाश के बच्चों सोनी, ज्योति, संतोष, बेबी और बेटे अंकुर के खिलाफ धूमनगंज थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया।
आखिर में जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री के निर्देश पर एसडीएम ने आदेश जारी किया। धूमनगंज पुलिस महिला फोर्स के साथ चार अगस्त को ओम प्रकाश को लेकर उनके घर पहुंची। वहां पर थोड़ा विरोध हुआ लेकिन आखिरकार ओम प्रकाश को उनके घर में प्रवेश दिलाया गया। उस वक्त उनकी बेटियों का पुलिस से कहना था कि उन्हें निकाला नहीं गया था। उसके पिता यहां रहते ही नहीं थे। इस दौरान पुलिस ने वीडियोग्राफी भी कराई ताकि विवाद होने पर विधिक कार्रवाई की जा सके।
source-hindustan
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