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किसान बनेंगे कॉलोनाइजर, ढाई एकड़ में काट सकेंगे कॉलोनी
मेरठ: शहर में कुकुरमुत्तों की तरह विकसित हो रही अवैध कॉलोनियों पर लगाम लगाने और किसानों को बिचौलियों और कॉलोनाइजरों के शोषण से बचाने के लिए मेडा बड़ा कदम उठाने जा रहा है. उत्तर प्रदेश लैंड पूलिंग नीति के तहत अब किसान अपनी जमीन कॉलोनाइजरों को बेचने की बजाय खुद उस पर कॉलोनी विकसित कर सकेंगे. इसके लिए मेडा किसानों की हर स्तर पर मदद करेगा. कॉलोनी का न केवल निशुल्क मानचित्र बनवाकर दिया जाएगा, बल्कि बैंक से वित्तीय मदद भी कराई जाएगी. योजना के तहत किसानों को न्यूनतम ढाई एकड़ जमीन का इंतजाम करना होगा.
मेरठ विकास प्राधिकरण के सामने शहर में विकसित हो चुकी 366 अवैध कॉलोनियों के ध्वस्तीकरण के साथ ही इनके निर्माण पर लगाम और लोगों की आवासीय जरूरतों को पूरा करने की बड़ी चुनौती है.
इसे लेकर मेडा ने जहां जल्द ही शहर में न्यू मेरठ नाम से नई टाउनशिप बसाने पर काम शुरू कर दिया है, वहीं किसानों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है. मेडा वीसी अभिषेक पांडेय ने प्रेस कांफ्रेंस कर योजना की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मेडा उत्तर प्रदेश लैंड पूलिंग योजना के तहत किसानों को कॉलोनाइजर बनाने पर विचार कर रहा है. इसमें एक या एक से अधिक किसान सामूहिक रूप से न्यूनतम ढाई एकड़ जमीन पर कॉलोनी विकसित करके बेच सकते हैं.
इस काम में मेडा किसानों की मानचित्र बनवाने से लेकर बैंक से ऋण दिलाने तक में पूरी मदद करेगा. योजना में किसान दो विकल्पों से कोई भी अपना सकता है. पहले विकल्प में किसान अपनी जमीन मेडा को देगा तो मेडा उसे विकसित करेगा और 25 फीसदी विकसित भूमि किसानों को हस्तांतरित कर देगा. इस विकसित जमीन का उपयोग किसान कर सकेंगे. दूसरे विकल्प के रूप में किसान अपनी जमीन पर सीधे टाउनशिप विकसित कर सकेंगे. इसमें मेडा उनकी पूरी मदद करेगा