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बस्ती न्यूज़: जिले में मानसून के इंतजार के बीच कुछ किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी है. मानसून आने में देरी से किसान काफी मायूस है. इसका असर उनकी नर्सरी से लेकर रोपाई तक पर पड़ रहा है. किसी तरह सिंचाई कर नर्सरी को तैयार कर रहे हैं. लेकिन अब बारिश में देरी से किसानों की चिंता बढ़ने लगी है. जिले में इस साल एक लाख दस हजार 69 हेक्टेयर में धान की फसल रोपाई का लक्ष्य मिला है. इसके लिए सात हजार 338 हेक्टेयर में धान की नर्सरी को तैयार कराया जा रहा है.
कप्तानगंज संवाद के अनुसार थानाक्षेत्र के खोभा निवासी किसान हरिश्चंद्र सिंह ने खेत में धान की रोपाई कर दी है. वे बताते हैं कि धान रोपाई करने का आषाढ़ सबसे अच्छा समय माना जाता है. मांझा के प्रगतिशील किसान कमलेश चौधरी के अलावा पम्प के पानी से खेत तैयार मरवटिया तिवारी गांव में भी दर्जन भर किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी है. वहीं परिवारपुर के किसान सतीश सिंह कहते हैं मौजूदा समय में एक बीघे धान की फसल में करीब 400 रुपये का डीजल, 600 पलेवा का और 1600 रुपए रोपाई के साथ उर्वरक और अन्य खाद पर करीब 1500 खर्च पड़ रहा है.
मौसम की मार संग जानवरों का खतरा
मानसून की देरी से सूखे के आसार की आशंका से घिरे किसानों के लिए छुट्टा व जंगली जानवरों से भी धान की नर्सरी की हिफाजत बढ़ी चुनौती बन गई है. धान की रोपाई के लिए अधिकतर किसान नर्सरी लगा चुके हैं. अब इन्हें पंपिंग सेट के माध्यम से नर्सरी को पानी देना पड़ रहा है. थोड़ी सी चूक हुई तो नर्सरी सूख जा रही है.
बारिश से किसानों को संजीवनी
छावनी क्षेत्र में धान की नर्सरी को बारिश से संजीवनी मिल गई. रवि प्रकाश ने बताया कि पहले जहां तीन दिन में धान के बेहन की सिंचाई करने को मजबूर थे. फिर भी धान की नर्सरी में पीलापन झलक रहा था. बरसात से धान की नर्सरी हरी हो गई और सिंचाई से भी थोड़ी राहत मिली