- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- रबी फसलों की बुवाई में...
उत्तर प्रदेश
रबी फसलों की बुवाई में जैव उर्वरकों का प्रयोग करें किसान, होगा अधिक लाभ
Admin4
26 Nov 2022 12:08 PM GMT
x
कानपुर। जैव उर्वरक मूलत जीवाणुओं का संग्रह है जो पौधों के लिए पोषक तत्व उपलब्ध कराते हैं। इनके प्रयोग करने से मृदा एवं जल दूषित नहीं होते हैं, क्योंकि यह मृदा के ऊपरी हिस्से में रहकर अपना जीवन यापन करते हैं। रवी फसलों की बुवाई में जैव उर्वरकों के प्रयोग से किसान अधिक लाभान्वित होंगे। यह बातें शुक्रवार को मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने कही।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने बताया कि जैव उर्वरकों का प्रयोग करना फसलों के लिए पोषक तत्व उपलब्ध कराने का एक अच्छा स्रोत है। जैव उर्वरकों को एक बार उपयोग में लाने से यह कई वर्षों तक मृदा में बने रहते हैं तथा पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध कराते रहते हैं। जिसके कारण फसलों की उत्पादकता में दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है अपितु उत्पादकता में वृद्धि होती है। जैव उर्वरक फसलों को पोषक तत्व उपलब्ध कराने के साथ-साथ कई मृदा जनित बीमारियों की रोकथाम में भी सहायक हैं।
डॉक्टर खान ने बताया कि जैव उर्वरकों में एजोटोबेक्टर एक वायुजीवी जीवाणु है जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को संग्रहित करने में सक्षम है। यह जीवाणु उन मृदा में प्रभावी ढंग से कार्य करते हैं, जिन मृदा में जैविक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में होता है। उन्होंने बताया कि एजोटोबेक्टर अदलहनी फसलें जैसे गेहूं, सरसों एवं सब्जियों में प्रयोग किया जाता है। एजोटोबेक्टर औसतन प्रति हेक्टेयर 15 से 35 किलोग्राम नाइट्रोजन मिट्टी में संचय कर देता है। इसी प्रकार राइजोबियम जीवाणु को दलहनी फसलों जैसे चना, मटर, मसूर आदि में प्रयोग किया जाता है जो 50 से 100 किलोग्राम नत्रजन संचय कर देता है।
Next Story