- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- बकाया गन्ना मूल्य पर...
मेरठ: ऐसा पहली बार हो रहा है कि नवीन गन्ना सत्र आधा बीत गया है, लेकिन यूपी सरकार ने गन्ना मूल्य घोषित नहीं किया है। गन्ने का मूल्य क्या होगा? यह किसानों को पता नहीं और गन्ना भी डाला जा रहा है। पश्चिमी यूपी गन्ना बेल्ट है। गन्ने का मूल्य सत्र आरंभ से पहले ही घोषित कर दिया जाता है, मगर इस बार गन्ना मूल्य सरकार ने घोषित नहीं किया। इस तरह से किसानों को यह भी पता नहीं है कि उन्हें गन्ने का मूल्य क्या मिलेगा, लेकिन फिर भी गन्ना डाला जा रहा है।
किसानों की राजनीति भी पश्चिमी यूपी से चलती है। कई पार्टियों के राजनीतिक एजेंडे भी गन्ने को लेकर तय किए जाते हैं, लेकिन वर्तमान में गन्ना मूल्य घोषित नहीं करना यही स्पष्ट करता है कि सरकार किसानों के हित में है या अहित में। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी भाजपा ने आरंभ कर दी है। भाजपा नेता गांव- गांव जा रहे हैं। ऐसे में भाजपा नेताओं को गन्ना मूल्य घोषित नहीं करने पर ग्रामीण क्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन बावजूद इसके गन्ना मूल्य घोषित नहीं किया जा रहा है।
चर्चा तो यह भी है कि प्रदेश सरकार लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए गन्ने का मूल्य बढ़ाकर घोषित कर सकती हैं। क्योंकि भाजपा भी नहीं चाहती कि गन्ना किसानों की नाराजगी के चलते चुनाव में नुकसान का सामना करना पड़े। भाजपा के पश्चिमी यूपी के नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व को किसानों के गन्ना मूल्य को लेकर बढ़ रही नाराजगी का संदेश भिजवा दिया है, लेकिन अब गन्ना मूल्य क्या होगा? कब घोषित किया जाएगा? यह भाजपा का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा। इसी वजह से गन्ना मूल्य को घोषित नहीं किया जा रहा है।
पश्चिमी यूपी में हाल ही में खतौली विधानसभा उपचुनाव हुए हैं, जिसमें विपक्षी नेताओं ने गन्ना मूल्य घोषित नहीं करना तथा बकाया भुगतान के मुद्दे को काफी हाईलाइट किया। इसी वजह से भाजपा को खतौली विधानसभा उपचुनाव में पराजय का भी सामना करना पड़ा। अब इस तरह का माहौल लोकसभा चुनाव में विपक्ष का नहीं बने, इसको दृष्टिगत रखते हुए भाजपा गन्ना मूल्य भुगतान के सवाल पर कोई बड़ा फैसला ले सकती हैं।
आखिर कब होगा बकाया गन्ना भुगतान?
बकाया गन्ना भुगतान को लेकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ रही है। बजाज ग्रुप, सहकारी चीनी मिल मोहिउद्दीनपुर समेत कई प्राइवेट शुगर मिल भी समय से गन्ने का भुगतान नहीं कर पा रही है, जिसका मुद्दा बागपत के एमपी सतपाल सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी सामने रखा है। भाजपा एमपी डा. सतपाल सिंह ने बताया कि मोदी ग्रुप के शुगर मिल, बजाज ग्रुप के शुगर मिल और मोहिउद्दीनपुर सहकारी चीनी मिल समेत कई ऐसे चीनी मिल है, जिन पर गन्ने का पिछला सत्र का भी बकाया चल रहा है।
हालांकि दावा भुगतान का किया जा रहा हैं। गन्ना विभाग के अधिकारी भी यह स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं। पत्रकारों से बकाया का डाटा छुपाया जा रहा हैं। मुख्यमंत्री से बकाया गन्ना भुगतान की मांग को लेकर चीनी मिलों पर दबाव बनाने की मांग की गई है, ताकि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में किसी तरह की दिक्कतें भाजपा नेताओं को ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं उठानी पड़े। इसी को लेकर मुख्यमंत्री के सामने बकाया गन्ना भुगतान कराने की मांग की गई।
दरअसल, किनौनी शुगर मिल पिछले सत्र का भी भुगतान नहीं कर पाई है। बजाज ग्रुप की सर्वाधिक खराब भुगतान के मामले में छवि खराब है, जिसे सुधारा नहीं जा रहा है। हालांकि बागपत के एमपी ने मोदी ग्रुप को भी कठघरे में खड़ा किया हैं। भुगतान को मोदी ग्रपु ने भी पिछले सत्र का क्लियर नहीं किया। इसी तरह से सहकारी चीनी मिल मोहिउद्दीनपुर पर भी बकाया चल रहा है, जिसका भुगतान नहीं किया जा रहा है।