उत्तर प्रदेश

शौकीन बच्चों के परिजन सतर्क हो जाएं: तीन साल में डेढ़ गुना बढ़े निकट दृष्टिदोष के मरीज

Admindelhi1
22 March 2024 5:58 AM GMT
शौकीन बच्चों के परिजन सतर्क हो जाएं: तीन साल में डेढ़ गुना बढ़े निकट दृष्टिदोष के मरीज
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गोरखपुर: मोबाइल, कंप्यूटर और टेलीविजन (टीवी) के शौकीन बच्चों के परिजन सतर्क हो जाएं. इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के शौक से बच्चों में निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. मायोपिया में पास की वस्तुएं साफ दिखाई देती हैं, लेकिन दूर की नहीं. मायोपिया के 20 फीसदी मरीजों में ग्लूकोमा होने का खतरा भी रहता है.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में मायोपिया के मरीजों की संख्या बीते तीन सालों में करीब डेढ़ गुना बढ़ गई है. मेडिकल कालेज के नेत्ररोग के विभागाध्यक्ष डॉ. राममयश यादव ने बताया कि ओपीडी में रोजाना से 20 बच्चे मायोपिया के इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. जिला अस्पताल की नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. कामना श्रीवास्तव ने बताया कि यदि बच्चे को ब्लैकबोर्ड स्पष्ट नहीं दिखता, पास से टेलीविजन देखने में दिक्कत होती है तो उन्हें तुरंत जांच करवानी चाहिए. जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना से 12 बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. इसमें ज्यादातर बच्चे मोबाइल से घंटों चिपके रहते हैं.

शहर से लेकर गांव तक के बच्चे हैं पीड़ित डॉ. रामयश ने बताया कि शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में मायोपिया के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. शहरी क्षेत्र में फीसदी बच्चे इसके शिकार हैं. कोरोना के बाद स्कूलों में से साल के बच्चों में मायोपिया के मामले 7 से 8 फीसदी से बढ़कर 13 से 18 फीसदी तक हो गए हैं.

ग्लूकोमा में तब्दील हो सकता है मायोपिया डॉ. कामना ने बताया कि मायोपिया से ग्लूकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है. बच्चों में यह समस्या तेजी से बढ़ती है क्योंकि उनका शरीर और आंखें विकसित हो रही होती हैं. आंखों का आकार बढ़ने से कार्निया और रेटिना में तेज खिंचाव हो सकता है. अगर माता-पिता इस विकार से पीड़ित हैं तो निकट दृष्टिदोष का जोखिम बच्चों में 30 फीसदी तक बढ़ जाता है.

युवा भी हो रहे पीड़ित मेडिकल कालेज के प्राचार्य व नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. रामकुमार जायसवाल ने बताया कि ग्लूकोमा अब कम उम्र के लोगों को शिकार बना रही है. अभी तक यह बीमारी 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को होती थी. अब 30 से 35 साल के लोगों में बीमारी पनप रही है. कोविड के दौरान स्टेरायड के सेवन का असर आंखों पर भी पड़ा है. डायबिटीज व ब्लड प्रेशर के मरीजों में ग्लूकोमा की परेशानी होने का खतरा बढ़ जाता है. 40 की उम्र के बाद हर चार में से एक को यह बीमारी होने का खतरा होता है. इसलिए साल में एक बार आंखों की जांच जरूर कराएं.

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