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लखनऊ न्यूज़: पोते की चाह में सास अपनी बहू पर दबाव बनाती हैं. बेटे और बेटियों के प्रति नजरिया अलग-अलग है. बेटे की चाह में परिवार बढ़ता चला जाता है. मगर अब ऐसा न हो, इसके लिए सम्मेलनों के जरिए काउंसलिंग की जाएगी. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश भर में मध्य सास-बेटा-बहू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे.
यूं तो पहले सास-बहू सम्मेलन होते थे, मगर वक्त की जरूरत को देखते हुए इसमें बेटों को भी शामिल कर लिया गया. दरअसल, कई सास ज्यादा बच्चों के लिए और कुछ सास पोता होने तक बच्चे पैदा करने का दबाव बेटों और बहुओं पर बनाती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए एनएचएम के तहत सास-बेटा-बहू सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं.
एनएचएम की मिशन निदेशक की ओर से सभी सीएमओ को इस संबंध में निर्देश भेजे गए हैं. इन सम्मेलनों का उद्देश्य सास, बहू व बेटों के मध्य समन्वय एवं संवाद को उनके पारस्परिक अनुभवों के आधार पर रुचिकर खेलों व गतिविधियों के माध्यम बेहतर किया जा सके ताकि प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति अपनी धारणा, व्यवहार व विश्वास में बदलाव ला सकें.
उपकेंद्र स्तर पर होंगे सम्मेलन यह सम्मेलन उपकेंद्र स्तर पर आयोजित किए जाएंगे. सम्मेलन में हर आशा द्वारा 8 से 10 परिवारों से सास, बेटा और बहू प्रतिभाग कराया जाएगा. इसमें एक वर्ष के नवविवाहित दंपत्ति, उच्च जोखिम वाली रहीं गर्भवती महिलाओं, परिवार नियोजन का साधन न अपनाने वाले परिवार, ऐसे परिवार जिनके तीन या उससे अधिक बच्चे हों. इसके लिए उपकेंद्र, ब्लाक एवं जिला स्तर पर माइक्रो प्लान के निर्देश दिए गए हैं.