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हम तो डूबे हैं सनम, तुमको भी ले डूबेंगे। उपनिरीक्षक राशिद अली खान पर यह कहावत फिट बैठती है। एक सीओ व दो थानेदारों के अप्रत्याशित तबादलों के जिम्मेदार रहे फकीरपुरा चौकी प्रभारी राशिद अली खान भी अंतत: हटा दिए गए। मुरादाबाद से उनका तबादला प्रयागराज जोन कर दिया गया। राशिद अली खान का तबादला एक माह पूर्व हुए तीन पुलिस अफसरों के तबादले की अगली कड़ी समझा जा रहा है। शासन ने जिस रूप में दरोगा को चित किया है, उसके निहितार्थ तलाशे जाने लगे हैं।
22 अगस्त की शाम पुलिस महकमे में तब अचानक खलबली मच गई, जब पता चला कि शासन ने जनहित को आधार बनाकर मुरादाबाद के तीन पुलिस अफसरों का तबादला पूर्वांचल व बुंदेलखंड के विभिन्न जनपदों में कर दिया है। स्थानांतरित पुलिस अफसरों में एक सीओ व दो थानेदारों के नाम शामिल रहे। शासन स्तर से अचानक हुई इस कार्रवाई की असल जड़ की तलाश होने लगी। छानबीन में पता चला कि दुष्कर्म व जमीन कब्जाने के मुकदमे में फंसे कांग्रेसी नेता व नगर निगम के पार्षद सद्दाम का प्रकरण तीनों पुलिस अफसरों पर भारी पड़ा।
कांग्रेसी नेता को जानबूझ कर मुकदमे में फंसाने व मदद की आड़ में उनसे धन उगाही करने का आरोप पुलिस अफसरों पर लगा। शिकायत बाद तत्कालीन सीओ सिविल लाइंस आशुतोष तिवारी, एसएसपी के पीआरओ रहे व महज चार दिन पहले ही थाना प्रभारी मुगलपुरा का प्रभार अपने हाथ लेने वाले नीरज धामा के अलावा ठाकुरद्वारा कोतवाली प्रभारी अभयराज सिंह को शासन ने सीधे गैर जनपद स्थानांतरित कर दिया। सूत्र बताते हैं कि अप्रत्याशित तबादले के खेल का मास्टर माइंड दरोगा राशिद अली खान को माना गया।
राशिद व कांग्रेसी नेता के नजदीकी संबंध थे। कांग्रेसी नेता से संबंध व रिश्ते के आधार पर दरोगा ने कई आपराधिक घटनाओं का पर्दाफाश भी किया। माना गया कि मुखबिर का विभागीय उत्पीड़न दरोगा को नागवार गुजरा। विभागीय संबंध की मदद से मुखबिर के उत्पीड़न में कथित तौर पर शामिल पुलिस अधिकारियों को दरोगा ने एक झटके में सबक सिखा दिया। बहरहाल राशिद अली खान के महकमे में प्रभाव का असर भी दिखा। उक्त तीनों अधिकारियों के तबादले के वक्त मझोला थाने में तैनात राशिद अली खान के हाथ चंद दिनों में ही सिविल लाइंस थाने की सबसे महत्वपूर्ण चौकी फकीरपुरा सौंप दी गई। चौकी प्रभारी बनने के बाद राशिद खान ने 15 दिन के भीतर 22 मुकदमे अपने नाम से थाने में दर्ज करा कर उच्चाधिकारियों को अपना तेवर भी दिखा दिया।
तब राशिद खान को शायद ही पता हो कि उनकी हर हरकत पर उच्चाधिकारियों की नजर गड़ी है। सूत्रों की मानें तो पूर्व में भोजपुर थाना प्रभारी रहे राशिद अली के खिलाफ उच्चाधिकारियों को कई गंभीर शिकायतें प्राप्त हुईं। उच्चाधिकारियों ने चौकी प्रभारी की हर संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट शासन को भेजी। एसएसपी व डीआईजी की रिपोर्ट के आधार पर शासन ने माना कि दरोगा राशिद खान की तैनाती मुरादाबाद में जनहित के लिहाज से ठीक नहीं है। ऐसे में उन्हें प्रयागराज जोन स्थानांतरित कर दिया गया। मूलरूप से बदायूं के रहने वाले राशिद खान का तबादला प्रदेश के आखिरी छोर पर होने से कयासों का बाजार गरम है।
न्यूज़क्रेडिट: amritvichar