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यूपी। यूपी निकाय चुनाव के प्रथम चरण में गुरुवार को मतदाता प्रदेश के 37 जनपदों में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. निर्वाचन आयोग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए जहां पुख्ता इंतजाम किए हैं, वहीं सहारनपुर में मतदान से पहले फर्जी वोटिंग की बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है. पुलिस ने मामले में दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. इनके कब्जे से निकाय चुनाव में फर्जी वोट डलवाने के लिए तैयार किए गए आधार कार्ड और अन्य सामान बरामद हुए हैं. वहीं मुख्य आरोपी और उसका एक अन्य साथी फरार है. पुलिस मुख्य आरोपी की तलाश कर रही है. उसकी गिरफ्तारी के बाद पर्दे के पीछे के असली खिलाड़ियों के सामने आने की उम्मीद है.
एसपी देहात सागर जैन ने गुरुवार को बताया कि निकाय चुनाव से पहले कोतवाली देवबंद पुलिस ने शाहजमान और सुबहान नाम के दो युवकों को गिरफ्तार किया है. दोनों ने पिछले वर्ष ही सीबीएसई बोर्ड से इंटरमीडिएट उत्तीर्ण किया है. वहीं मुख्य आरोपी आसिफ और उसका साथी भूरा फरार होने में सफल रहे. इनकी तलाश की जा रही है. पकड़े गए आरोपियों के पास से सैकड़ों फर्जी आधार कार्ड, दो प्रिंटर, कंप्यूटर, लैपटॉप, कई पासपोर्ट साइज फोटो आदि बरामद किया गया है.
एसपी देहात ने बताया कि इसके साथ ही कोतवाली सदर बाजार क्षेत्र में भी रेलवे स्टेशन के पास से कुछ फर्जी आधार कार्ड मिले हैं. आरोपी फर्जी वोट डालने के लिए आधार कार्ड तैयार कर रहे थे. इसमें उन लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनाए जा रहे थे, जो या तो शहर छोड़कर चले गए या फिर जिनका कुछ समय पूर्व निधन हो गया है. ऐसे लोगों की फोटो का इस्तेमाल कर फर्जी आधार कार्ड बनाए जा रहे थे. इस दौरान सामने आया कि एक महिला की फोटो पर 30 से अधिक कार्ड बनाए गए. एक ही फोटो पर नाम व पते अलग-अलग थे. इसी तरह पुरुषों के भी एक फोटो पर कई आधार कार्ड बनाए गए. मतदान के दौरान फर्जी वोटर पकड़ा नहीं जाए, इसके लिए शातिर लोग फोटो को धुंधला करते थे.
गिरफ्तार अभियुक्त कंप्यूटर पर असली आधार कार्ड को फोटोशॉप के जरिए एडिट करते थे और इसके बाद फर्जी आधार कार्ड बनााया जाता था. एक आधार कार्ड बनाने का करीब एक हजार रुपये लिया जाता था. इस तरह बड़े पैमाने पर फर्जी आधार कार्ड तैयार कर गलत तरीके से मतदान करने की तैयारी थी. मुख्य आरोपी आसिफ कंप्यूटर से एडिटिंग का काम करता था, उसने फर्जी आधार कार्ड बनाने का किसी से ठेका लिया था. उसकी गिरफ्तारी के बाद इस गिरोह के असली खिलाड़ियों के नाम सामने आने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि इसमें किसी सियासी दल के प्रत्याशी, पदाधिकारी या पार्टी कार्यकर्ता का हाथ हो सकता है.
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