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उत्तर प्रदेश
लखनऊ के कुछ प्रदूषण जांच केंद्रों पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया प्रयोग
Tara Tandi
4 April 2024 10:07 AM GMT
![लखनऊ के कुछ प्रदूषण जांच केंद्रों पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया प्रयोग लखनऊ के कुछ प्रदूषण जांच केंद्रों पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया प्रयोग](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/04/04/3645351-tara.webp)
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लखनऊ : वाहनों के प्रदूषण जांच में फर्जीवाड़े की शिकायतों पर अंकुश लगाने के लिए परिवहन विभाग ने कमर कस ली है। एनआईसी को प्रदूषण जांच के पोर्टल को अपग्रेड करने के निर्देश दिए गए थे और अब एप के जरिये प्रदूषण जांच होगी।
अधिकारियों ने बताया कि प्रदूषण की जांच के समय वाहनों की भौतिक उपस्थिति अनिवार्य रूप से हो और फेक एपीआई के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए यह पहल की गई है। इसके लिए पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट पोर्टल को अपग्रेड कर पीयूसीसी वर्जन 2.0 पोर्टल तैयार किया गया है। पोर्टल को लखनऊ के कुछ प्रदूषण जांच केंद्रों पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया, जो सफल रहा। अब 15 अप्रैल से इस व्यवस्था को पूरे प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
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पोर्टल का उपयोग करने के लिए सभी प्रदूषण जांच केंद्रों के स्वामी व ऑपरेटरों को पीयूसीसी सेंटर एप का प्रयोग करना होगा। एप पर लॉगिन करने के बाद जांच केंद्र स्वामी को अपने लॉगिन से सेंटर की लोकेशन डालनी होगी। मोबाइल वैन प्रदूषण जांच केंद्र के स्वामी संबंधित जिले के सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय में जाकर उसकी लोकेशन फीड करेंगे।
एक सेंटर के लिए तीन मोबाइल में एप का इस्तेमाल किया जा सकेगा, लेकिन एक समय में एक ही मोबाइल से लॉगिन होगा। मोबाइल एप का प्रयोग स्थायी प्रदूषण जांच केंद्र की 30 मीटर की परिधि में ही हो सकेगा। वहीं मोबाइल वैन प्रदूषण जांच केंद्र के लिए यह सीमा परिवहन कार्यालय से 40 किमी रखी गई है।
ऐसे करनी होगी जांच
प्रदूषण जांच केंद्र के ऑपरेटरों को वाहनों की जांच करते हुए एप के जरिये वाहन की फ्रंट, साइड और रियर साइड की फोटो लेनी होगी। वाहन की उपस्थिति दिखाने के लिए एक वीडियो भी रिकॉर्ड करना होगा। एप के माध्यम से क्लिक की गई तस्वीरों में से एक प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र पर दिखेगी। यह वाहन स्वामी को भेजनी होगी।
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