उत्तर प्रदेश

सरकार का हर अभियान जिले में तोड़ रहा दम, आंखें बंद किए बैठे हैं जिम्मेदार

Admin4
7 Sep 2022 3:26 PM GMT
सरकार का हर अभियान जिले में तोड़ रहा दम, आंखें बंद किए बैठे हैं जिम्मेदार
x

सूबे के मुख्यमंत्री फरमान जारी करें या शासन की ओर से आदेश जारी हो। यहां हर आदेश को हवा में उड़ाना जिम्मेदारों की आदत बन गई है। अतिक्रमण हटाने से लेकर छुट्टा पशुओं व मेडिकल वेस्ट को लेकर अभियान चलाने के दिए गए आदेश पूरी तरह अमल में नहीं लाए जा सके। नतीजा हालात जस के तस हैं। जहां शहर में अतिक्रमण बरकरार है वहीं जिले भर में छुट्टा पशुओं की दबंगई में कोई कमी नहीं आई है। यह अलग बात है कि जिले में डिप्टी सीएम से लेकर मंत्रियों और आला अधिकारियों का दौरा अक्सर लगता रहता है। समीक्षा बैठकें भी होतीं हैं लेकिन बड़ी परियोजनाओं को छोड़कर इन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं होती।

हाईवे पर अब भी मटरगश्ती कर रहे छुट्टा पशु

28 अगस्त को शासन के निर्देश पर हाईवे और अन्य क्षेत्रों से छुट्टा पशुओं को हटाने का अभियान तो एक दिन में ही सिमट गया। हर तहसील क्षेत्र में शुरू किए गए इस अभियान के तहत पहले दिन 758 पशुओं को पकड़ कर अपनी पीठ खुद थपथपा कर शांत बैठ गया। यह हाल तब है जब सीडीओ अनीता यादव खुद अफसरों को लेकर सोहावल क्षेत्र में उतरी थी।

दावा किया गया था कि अभियान नियमित रूप से चलाया जाये लेकिन दूसरे दिन किसी भी तहसील क्षेत्र में अभियान नहीं चला। नतीजा छुट्टा पशु अभी भी हाईवे से लेकर गांव देहात और नगरीय क्षेत्रों में लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। फसलों को अभी भी छुट्टा पशु चट करते जा रहे हैं, जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री ने इसके निदान का आश्वासन दिया था।

अतिक्रमण बरकरार, जगह-जगह पर अवैध पार्किंग

मई में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से अवैध टैक्सी स्टैंड और सड़कों से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया था। आदेश के बाद दो तीन दिनों तक तो प्रशासन ने अभियान चलाया। उसके बाद सब दाखिल दफ्तर हो गया। जेल रोड के पीछे छोड़ कहीं से अवैध टैक्सी स्टैंड नहीं हटे, आज भी सब बरकरार हैं। इसके अलावा अतिक्रमण हटाने को लेकर तो केवल रस्म अदायगी हुई।

व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथ निकले पुलिस अफसरों ने चौक समेत विभिन्न क्षेत्रों में टहल घूम कर दुकानें को अंदर करने व सड़क से वाहनों को हटाने की चेतावनी दी। उसके बाद से किसी ने पलट कर नहीं देखा कि अतिक्रमण हटा या नहीं। चौक क्षेत्र समेत सभी बाजारों में अभी भी वैसा ही अतिक्रमण है जैसा पहले था। हास्यास्पद तो यह है कि शहर में लागू की गई वन – वे – ट्रैफिक व्यवस्था भी दम तोड़ गई। जिन पर अनुपालन कराने की जिसमे थीं उन्हें इसकी कोई सुधि नहीं।

मेडिकल वेस्ट जगह-जगह बजबजा रहा

अस्पतालों से निकलने वाले कचरे को लेकर शुरू किए गए तीसरे अभियान की तो पहले दिन ही दुर्गति हुई। नगर निगम के आयुक्त नाका क्षेत्र के एक निजी अस्पताल में पहुंचे और निरीक्षण के बाद नोटिस देने की बात कह कर लौट गए, जबकि मंडलायुक्त नवदीप रिनवा ने स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम दोनों को संयुक्त रूप से अस्पताली कचरे को लेकर लगातार अभियान चलाने के लिए निर्देश दिए थे।

जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी और गैर दोनों अस्पतालों में मेडिकल वेस्ट कूड़े की तरह आसपास ही फेंक दिया जा रहा है, जिससे प्रदूषण और तमाम बीमारियों के फैलने का संकट बरकरार है। शहर में ही 150 से अधिक निजी अस्पताल और पैथोलॉजी हैं लेकिन मेडिकल वेस्ट निस्तारण की किसी में भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यह अभियान भी लापरवाही की भेंट चढ़ दम तोड़ चुका है। बुधवार को महिला अस्पताल के बगल डॉक्टर्स कॉलोनी की रोड पर सड़क पर मेडिकल वेस्ट बिखरा पड़ा मिला।

होटलों की चेकिंग के नाम पर सिर्फ रश्म अदायगी

लखनऊ के लेवाना होटल में अग्निकांड के बाद चले ताजा अभियान का हाल जगजाहिर है। सोमवार को आठ होटल चेक किए गए तो मंगलवार को चार। बुधवार को न अयोध्या विकास प्राधिकरण के सचिव निकले न मुख्य अग्निशमन अधिकारी। यानि मुख्यमंत्री के फरमान पर महज दो दिन खानापूर्ति के लिए होटलों की चेकिंग की गई, फोटो खिंचाई गई और कोरम पूरा कर लिया गया।

दो दिनों में केवल 12 होटल और गेस्टहाउस चेक कर अधिकारी फुर्सत पा गए, जबकि अयोध्या और फैजाबाद शहर मिला कर 100 से अधिक होटल और 150 से अधिक गेस्ट हाउस हैं। इनमें से अधिकतर सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते हैं। हालांकि दावा किया जा रहा है सभी की चेकिंग होगी लेकिन तीसरे दिन अभियान थम सा गया है।

Next Story