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बड़ी खबर
लखनऊ। कोरोना काल से लगातार लोगों की नकारात्मकता को दूर करने के लिए निराला नगर स्थित रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष द्वारा सत्प्रसंग किया जा रहा है। जिसमें बुधवार के प्रात: कालीन सत्प्रसंग में मठ अध्यक्ष मुक्तिनाथानंद ने बताया कि कर्म करते हुए अगर वह हम कर्मफल भगवान के चरणों में अर्पण करें तब आसानी से हम जीवन का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बुद्धिमान साधक कर्मजन्य फल का त्याग करके जन्म रूपी बंधन से मुक्त होकर निर्विकार पद को प्राप्त हो जाते है। जो बुद्धिमान साधक हैं वे निरंतर कर्म करते हुए जो फल की प्राप्ति करते है,वे ईश्वर चरणों में ही समर्पण करते है। कर्म करने से फल अनिवार्य है और वही हमारे बंधन का कारण होता है। यह समझते हुए बुद्धिमान साधकगण कर्मफल से अपने को दूर रखते हैं।
इसी प्रकार कर्म करते हुए भी एक आदर्श योगी बन जाते हैं। मुक्तिनाथानंद ने कहा कि मन का साम्य भाव ही योग है। हमारे मन में स्वाभाविक प्रश्न होता है कि कर्म करने से हमें ईश्वर प्राप्त होता है। उन्होंने श्री रामकृष्ण के अंतरंग संन्यासी पार्षद सारदानंद की जीवनी उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत किया कि हम जानते हैं कि स्वामी सारदानंद रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन के प्रथम साधारण संपादक थे एवं परिचालन मंडली के अन्यतम प्रधान थे। इतने गुरुत्वपूर्ण दायित्व वहन करते हुए भी वे कोलकाता स्थित उद्बोधन भवन में रहते हुए मां सारदा देवी की देखभाल भी करते थे, इसके साथ-साथ वे रामकृष्ण की एक प्रमाणिक जीवनी रचना भी करते थे।
Shantanu Roy
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