उत्तर प्रदेश

पंडित सीताराम चतुर्वेदी के जन्मोत्सव पर सम्मानित होंगे प्रख्यात कवि प्रवीण शुक्ल

Shantanu Roy
24 Jan 2023 11:03 AM GMT
पंडित सीताराम चतुर्वेदी के जन्मोत्सव पर सम्मानित होंगे प्रख्यात कवि प्रवीण शुक्ल
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मुज़फ्फरनगर। महान साहित्यकार आचार्य पंडित सीताराम चतुर्वेदी का जन्मोत्सव 27 जनवरी को वेदपाठी भवन पंचमुखी में रतनगुरु के सानिध्य में मनाया जाएगा। इस दौरान होने काव्य पाठ एवं कवि सम्मेलन में प्रख्यात कवि प्रवीण शुक्ल को सृजन मनीषी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। आचार्य सीताराम चतुर्वेदी का जन्मोत्सव हर साल की तरह इस बार को 27 जनवरी को वेदपाठी भवन में श्रद्धा के साथ मनाया जायगा। इस दिन शाम को वेदपाठी भवन में साढ़े छह बजे काव्य पाठ और कवि सम्मेलन आयोजित किया जायेगा। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में पद्मभूषण डॉक्टर गोपाल दास, किशन सरोज आदि सम्मान से विभूषित प्रख्यात कवि और लेखक प्रवीण कुमार मौजूद रहेंगे। इस अवसर पर कवि प्रवीण कुमार को सृजन मनीषी पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा।
वेदपाठी भवन से जुड़े लोगों की मंगलवार को हुई बैठक में जन्मोत्सव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। बैठक में कीर्ति भूषण अग्रवाल, सत्यशील (बनारस), नरेंद्र बोस, सुरेंद्र अग्रवाल, विपिन त्यागी, शिव नारायण अग्रवाल, प्रदीप शर्मा, पुष्पेन्द्र अग्रवाल, प्रमोद आचार्य, विश्व रत्न बंटी, निहार रंजन, मुनीष शर्मा, ज्योतिषाचार्य संजय सक्सेना, प्रदीप जैन, सुनील बंसल, सुशील बंटी, दीपक बंसल, अलका जैन(गिरधारी लाल स्कूल), गन्धर गौतम जैन, शेली और पूर्व सभासद रानी सक्सेना आदि इस दौरान मौजूद रहे। पंडित सीताराम की शख्सियत हिंदी गौरव सम्मान से सम्मानित आचार्य सीताराम चतुर्वेदी का जन्म वाराणसी में एक प्रसिद्ध ब्राह्मण परिवार में हुआ था । उनके पिता पंडित भीमसेन वेदपति चतुर्वेदी वैदिक अध्ययन के विद्वान संस्कृत विद्वान थे । उन्होंने अपनी स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से प्राप्त की और बाद में विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। चतुर्वेदी ने हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी में 70 से अधिक नाटक लिखे और कई अन्य में निर्देशन, मंचन और अभिनय किया। वे बंबई के पृथ्वी थिएटर में क्रिय भागीदार थे और उन्हें अभिनव भारत की उपाधि से सम्मानित किया गया था । उन्होंने भाषा, व्याकरण, साहित्य, नाटक, रंगमंच आदि पर 250 से अधिक पुस्तकें भी लिखीं। कालिदास के संग्रहित कार्यों को संपादित करने के साथ मदनमोहन मालवीय और तुलसीदास और वल्लभाचार्य की जीवनी को लिखने का काम किया।
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