उत्तर प्रदेश

बढ़ी हुई दर हर महीने बदलेंगी बिजली बिल ,अगले साल से प्रभावी हो सकता है नया प्रावधान

Kajal Dubey
14 Aug 2022 2:45 AM GMT
बढ़ी हुई दर हर महीने बदलेंगी बिजली बिल ,अगले साल से प्रभावी हो सकता है नया प्रावधान
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इसी साल 5 मई को विद्युत मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था

जनता से रिश्ता |Electricity Rates : अंतर बस इतना होगा कि डीजल-पेट्रोल की दरों में रोजाना बदलाव होता है जबकि बिजली दरों में बदलाव हर महीने होगा। दरअसल, विद्युत उत्पादन गृहों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन जैसे कोयला, तेल और गैस आदि की कीमतों के आधार पर बिजली दरें तय की जाएंगी।

अब बिजली की दरें भी डीजल-पेट्रोल की तर्ज पर बदलेंगी। अंतर बस इतना होगा कि डीजल-पेट्रोल की दरों में रोजाना बदलाव होता है जबकि बिजली दरों में बदलाव हर महीने होगा। दरअसल, विद्युत उत्पादन गृहों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन जैसे कोयला, तेल और गैस आदि की कीमतों के आधार पर बिजली दरें तय की जाएंगी। इसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जाएगी। इस नए प्रावधान के अगले साल के शुरुआत से प्रभावी होने की संभावना है।
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 176 के तहत 2005 में पहली बार विनियम बनाए थे। अब इसमें संशोधन की तैयारी है। इसके लिए विद्युत (संशोधन) विनियम 2022 का मसौदा जारी कर दिया गया है। दरअसल, संसद के मानसून सत्र में विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 के पारित न हो पाने के कारण सरकार ने विनियमों में संशोधन के जरिए इसके प्रावधानों को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के उप सचिव डी. चट्टोपाध्याय की ओर से 12 अगस्त को सभी राज्य सरकारों समेत अन्य संबंधित इकाइयों को मसौदा भेजकर 11 सितंबर तक सुझाव मांगे हैं। मसौदे के पैरा 14 में यह प्रावधान है कि वितरण कंपनी द्वारा बिजली खरीद की धनराशि की समय से वसूली के लिए ईंधन की कीमतों के आधार पर हर महीने बिजली दरें तय की जाएंगी और इसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जाएगी।
बिजली कंपनियों की ओर से नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) के साथ दाखिल किए जाने वाले ट्रू-अप प्रस्ताव में बढ़ी दरों का समायोजन किया जाएगा। इसके लिए विद्युत मंत्रालय ने फॉर्मूला भी तय किया है। 11 सितंबर के बाद विनियम को अंतिम रूप देकर अधिसूचना जारी की जाएगी। अधिसूचना जारी होने के 90 दिन बाद यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। हाल ही में संसद में रखे गए विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 की धारा 61 (जी) में भी यह प्रावधान किया गया है कि बिजली कंपनियां पूरी आपूर्ति लागत उपभोक्ताओं से वसूल करेंगी।
बिजली कंपनियों के साथ हुआ पीपीए भी बदलेगा
अभी जो व्यवस्था प्रभावी है, उसके अनुसार वितरण कंपनियां उत्पादकों के साथ 25-25 साल का विद्युत क्रय अनुबंध (पीपीए) करती हैं। इसमें ईंधन की लागत बढ़ने पर उसकी वसूली का कोई प्रावधान नहीं है। दरअसल टेंडर की शर्तों में यह शामिल रहता है कि ईंधन की कीमत बढ़ने-घटने का आकलन करके उसे समायोजित करते हुए वितरण कंपनियों को बेची जाने वाली बिजली की दर इंगित की जाए।
इसी साल 5 मई को विद्युत मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि यद्यपि पीपीए में ईंधन की बढ़ी कीमत वितरण कंपनियों से वसूलने का प्रावधान नहीं है, लेकिन इसमें वृद्धि को देखते हुए पीपीए में संशोधन के लिए एक समिति क ा गठन किया गया है। समिति में विद्युत मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण व केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के प्रतिनिधि शामिल थे।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीपीए में संशोधन किया जाएगा। अगर पीपीए करने वाली वितरण कंपनी उस दर पर बिजली नहीं खरीदती है तो उत्पादन एनर्जी एक्सचेंज के माध्यम से उस बिजली को खुले बाजार में बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।
'विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 के जरिए केंद्र सरकार बिजली वितरण का निजीकरण करना चाहती है। निजी क्षेत्र के जो वितरण लाइसेंसी होंगे, उनके हितों को देखते हुए विद्युत विनियम 2005 में संशोधन किया जा रहा है, ताकि उन्हें कोई दिक्कत न हो। इसकी कीमत आम उपभोक्ता को चुकानी पड़ेगी।



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