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प्रयागराज जंक्शन पर ऐतिहासिक इमारतें और धरोहरों को बचाने की कवायद तेज
इलाहाबाद न्यूज़: प्रयागराज जंक्शन को एयरपोर्ट की तर्ज पर सजाने, संवारने का काम शुरू हो गया है. नई हाईटेक इमारतों के निर्माण से पहले पुरानी इमारतें तोड़नी ही होंगी. ऐसे में तोड़फोड़ की जद में कई ऐतिहासिक इमारतें, धरोहरें भी आ रही हैं. इसे लेकर काफी आवाज उठी कि सालों पुराने इतिहास के साथ छेड़छाड़ न हो, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ.
1882 में प्रयागराज जंक्शन के सामने भाप का इंजन बनाने वाले वर्कशॉप, सौ साल पुरानी इमारत, चिमनी आदि को गिराए जाने का मामला अब रेल मंत्रालय, रेलवे बोर्ड तक पहुंचा है. इतिहास संजोने वाले कई संस्थानों ने कवायद शुरू की है. इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरीटेज (इन्टेक) ने रिपोर्ट देकर रेलवे के पुराने लोकोमोटिव वर्कशॉप, पुराने अस्पताल परिसर, कोरल क्लब को इंटरएक्टिव रेलवे संग्रहालय, गैलरी में परिवर्तित करने का प्रस्ताव दिया है. रनिंग रूम, लोकोमोटिव फैक्ट्री और चिमनियों को विरासत के तौर पर सजाने की मांग की है. इसमें इन संस्थाओं ने कई जनप्रतिनिधियों को भी साथ जोड़ा है. भारतीय रेलवे की बात करें तो इस शहर में रेलवे की काफी विरासत हैं. रेलवे की वर्कशॉप, चिमनियां, ऐतिहासिक इमारतें, पुरानी बिल्डिंगों वाले कार्यालय आदि को गिराए जाने का विरोध बढ़ने लगा है. इन्टेक के प्रयागराज चैप्टर के ज्वाइंट सेक्रेटरी वैभव का कहना है कि हर स्तर पर कोशिशें की जा रही हैं. अफसरों से मुलाकात कर मांग की गई है. इस शहर के इतिहास को रेलवे को संजोना चाहिए.
उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय का कहना है कि प्रयागराज जंक्शन एयरपोर्ट जैसा बनेगा. ऐतिहासिक चिमनी संजोने की कोशिश की गई है. रेलवे हमेशा ही इतिहास संजोता रहा है.