उत्तर प्रदेश

यूपी में नई बिजली दरें तय करने की कवायद तेज, 21 से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जनसुनवाई

Renuka Sahu
2 Jun 2022 2:17 AM GMT
Efforts to fix new electricity rates intensified in UP, public hearing through video conferencing from 21
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फाइल फोटो 

प्रदेश में नई बिजली दरें तय करने की कवायद तेज हो गई है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों पर 21 जून से 24 जून तक जनसुनवाई का फैसला किया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रदेश में नई बिजली दरें तय करने की कवायद तेज हो गई है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों पर 21 जून से 24 जून तक जनसुनवाई का फैसला किया है। कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर आयोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जनसुनवाई करेगा। बिजली दरें बढ़ाने या कम करने को लेकर पेंच फंसा हुआ है।

बिजली कंपनियों का घाटा एक लाख करोड़ से ऊपर पहुंच गया है इसलिए पावर कॉर्पोरेशन दरें बढ़वाने की जुगत में लगा है जबकि राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं की निकल रही देनदारी का हवाला देते हुए दरों में कमी का दबाव बना रखा है। राज्य सरकार का रुख देखकर आयोग दरों के बारे में अंतिम फैसला करेगा।
2022-23 के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव पर 21 जून को दक्षिणांचल एवं पश्चिमांचल वितरण निगम तथा केस्को की सुनवाई होगी। 22 जून को मध्यांचल और पूर्वांचल वितरण निगम की सुनवाई होगी। नोएडा पावर कंपनी की सुनवाई 24 जून को होगी। उसी दिन यूपी पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन की सुनवाई भी की जाएगी।
जनसुनवाई के लिए नियामक आयोग की ओर से पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष व सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को निर्देश जारी कर दिए हैं। दूसरी तरफ राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने दरों में कमी कराने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। परिषद जल्द ही एआरआर पर अपनी आपत्तियां और सुझाव आयोग को सौंपेगा।
बिजली कंपनियों ने 2022-23 के लिए लगभग 84,526 करोड़ रुपये का एआरआर दाखिल किया है। एआरआर लगभग 6762 करोड़ का घाटा अनुमानित है। एआरआर में वितरण लाइन हानियां 17.5 प्रतिशत प्रस्तावित की गई हैं। एआरआर के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में 1,26,526 मिलियन यूनिट बिजली की खरीद की जाएगी और बिजली कंपनियों द्वारा 1,20,833 मिलियन यूनिट बिजली आपूर्ति प्रस्तावित है।
इस साल 64,294 करोड़ की बिजली खरीद प्रस्तावित की गई है। सरकार की ओर से 14,500 करोड़ राजस्व सब्सिडी दिए जाने की बात कही गई है। बिजली आपूर्ति की लागत 8.43 रुपये प्रति यूनिट प्रस्तावित की गई है। खास बात यह है कि आयोग के निर्देश के बावजूद पावर कॉर्पोरेशन ने टैरिफ प्रस्ताव दाखिल नहीं किया है। अलबत्ता कॉर्पोरेशन बिजली दरों के मौजूदा स्लैब में बदलाव के लिए एक बार फिर आयोग से अनुरोध करने की तैयारी में जुटा है।
पावर कॉर्पोरेशन चाहता है कि बिजली कंपनियों के भारी-भरकम घाटे को देखते हुए आयोग बिजली दरों में तर्कसंगत वृद्धि का फैसला करे। फिलहाल जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं उसे देखते हुए माना जा रहा है कि सरकार भी दरें बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। उधर, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि चूंकि बिजली कंपनियों ने टैरिफ प्रस्ताव दाखिल नहीं किया है इसलिए बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 22,045 करोड़ रुपये के एवज में दरों में कमी की जानी चाहिए।
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