- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- मक्का, बाजरा एवं ज्वार...
उत्तर प्रदेश
मक्का, बाजरा एवं ज्वार में लगने वाले कीटों पर जरुरी है प्रभावी नियंत्रण : डॉ खलील खान
Shantanu Roy
11 Sep 2022 6:16 PM GMT
x
बड़ी खबर
कानपुर। तना छेदक कीट मक्के के लिए सबसे अधिक हानिकारक कीट है। मक्का के अलावा यह ज्वार एवं बाजरे मे भी हानि पहुंचाता है। इसलिए किसान भाइयों को विशेष ख्याल रखना होगा कि कीट जैसे ही लगे वैसे ही प्रभावी नियंत्रण के लिए रासायनिक पदार्थों का छिड़काव करें। इससे फसल उत्पादन भी प्रभावित नहीं होगा और किसान लाभान्वित भी होगा। यह बातें रविवार को सीएसए के मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने कही। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीपनगर कानपुर देहात के कृषि वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने मक्का, ज्वार, एवं बाजरा फसल में लगने वाले कीटों के नियंत्रण को लेकर बयान जारी किया। बताया कि खरीफ मक्का 14049 हेक्टेयर, ज्वार 14676 हेक्टेयर एवं बाजरा की खेती जनपद में 21956 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है। मक्के में कार्बोहाइड्रेट 70 फीसद, प्रोटीन 10 फीसद के अलावा अन्य पोषक पदार्थ भी पाया जाता है। जिसके कारण इसका उपयोग मनुष्य के साथ-साथ पशु आहार के रूप में भी किया जाता है।
तना छेदक कीट मक्के के लिए सबसे अधिक हानिकारक कीट है। मक्का के अलावा यह ज्वार एवं बाजरे मे भी हानि पहुंचाता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इसकी सुंडियां 20 से 25 मिमी लम्बी और स्लेटी सफेद रंग की होती है। जिसका सिर काला होता है और चार लम्बी भूरे रंग की लाइन होती है। इस कीट की सुंडियां तनों में छेद करके अन्दर ही अन्दर खाती रहती हैं। फसल के प्रारम्भिक अवस्था में प्रकोप के फलस्वरूप मृत गोभ बनता है, परन्तु बाद की अवस्था में प्रकोप अधिक होने पर पौधे कमजोर हो जाते हैं और भुट्टे छोटे आते हैं एवं हवा चलने पर पौधा बीच से टूट जाता है।
इस तरह कीटों का करें बचाव
इस कीट के नियंत्रण के लिए किसान भाई मक्का की फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें। इसके रसायनिक नियंत्रण हेतु क्विनालफास 25 प्रतिशत, ई.सी. 1.5 ली. को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें। उन्होंने बताया कि फॉल आर्मीवर्म ऐसा कीट है, जो कि एक मादा पतंगा अकेले या समूहों में अपने जीवन काल में एक हजार से अधिक अंडे देती है। इसके लार्वा पत्तियों को किनारे से पत्तियों की निचली सतह और मक्के के भुट्टे को भी खाते हैं। इसकी लार्वा अवस्था ही मक्का की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाती है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि संतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का सही प्रयोग करें।
Next Story