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लैंगिक असमानता दूर करने को शिक्षा महत्वपूर्ण माध्यम: वाजपेयी
गोरखपुर: समाधान अभियान की परियोजना एवं प्रशासनिक निदेशक श्रीमती शीलम वाजपेयी ने कहा कि प्रकृति ने महिला एवं पुरूष को एकसमान बनाया है। हमें अपने घरों में लिंग समानता के मूल्यों पर ध्यान देना चाहिए। लैंगिक असमानता को दूर करने में शिक्षा महत्वपूर्ण माध्यम है। शिक्षा के माध्यम से जड़तावादी दृष्टिकोणको दूर कर समाज में समग्रता एवं भावात्मक एकता का वातावरण बनाया जा सकता है।
श्रीमती वाजपेयी महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के तहत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेस (आयुर्वेद कॉलेज) में चल रहे बीएएमएस के नवप्रवेशी विद्यार्थियों के 15 दिवसीय दीक्षा पाठ्यचर्या (ट्रांजिशनल करिकुलम) के आठवें दिन (बुधवार) के द्वितीय सत्र को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रही थीं। उन्होंने “लैंगिक संवेदनशीलता” विषय पर व्याख्यान हुए कहा कि लैंगिक संवेदनशीलता एक ऐसा विषय है जिस पर हमारा समाज खुलकर बहस करने से कतराता है। घर पर माता-पिता हो या विद्यालय में शिक्षक इस विषय पर बात करने में हिचकिचातें है जो की गलत है। आज जरूरत है इस पर खुल कर बात करने की। लैंगिक संवेदनशीलता का अर्थ है कि चाहे वो पुरूष हो, महिला हो या उभयलिंगी प्रत्येक का एक दूसरे के प्रति सम्मान का भाव रखना। महिला और पुरुष के मध्य एक ऐसा वातावरण तैयार करना जिसमें प्रत्येक के अधिकार सुरक्षित रहें।
तीसरे सत्र के अंतर्गत वदतु संस्कृतम् के कार्यशाला में सह-आचार्य साध्वी नन्दन पाण्डेय द्वारा संस्कृत के तीनों लिंगों और वचनों में शब्दों का ज्ञान कराते हुए संज्ञा और सर्वनाम पदों का एक वचन से बहुवचन पदो में परिवर्तन का ज्ञान एवं वाक्य प्रयोग और अभ्यास कराया। चतुर्थ सत्र में बीएएमएस के नवप्रवेशी विद्यार्थियों को सह आचार्य डॉ जसोबन्त दंशना व पुस्तकालयाध्यक्ष सतीश कुमार के मार्गदर्शन में केंद्रीय पुस्तकालय का भ्रमण कराया गया। आज के विभिन्न सत्रों में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव, आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य मंजूनाथ एनएस समेत सभी शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।