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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
पश्चिमी यूपी में इस बार बदरा रुठे रहे। यहां इस बार उम्मीद से बेहद कम बारिश हुई। गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर से बदरा अधिक रूठे रहे। इन जिलों में 70 प्रतिशत से ऊपर बारिश कम दर्ज की गई। वेस्ट यूपी में सबसे कम बारिश गाजियाबाद में हुई है।
पश्चिमी यूपी से इस बार बदरा रूठ गए हैं। जून से अगस्त तक 41 प्रतिशत कम बारिश हुई है, जबकि पूर्वांचल और देश के अन्य राज्यों में मेघ मेहरबान रहे हैं। मेरठ में मौसम औसतन 53 प्रतिशत कम बारिश हुई है। मौसम वैज्ञानिक पेड़ों के कटान को इसका मुख्य कारण मान रहे हैं। धान में तीसरे दिन सिंचाई करनी पड़ रही है। इससे किसान परेशान हैं।
मानसून ने जब दस्तक दी तो केरल समेत महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में झमाझम बारिश हुई। मानसून वेस्ट यूपी तक पहुंचा तो रफ्तार धीमी पड़ गई। मेरठ में सामान्य तौर पर 489.4 मिमी बारिश होनी थी, लेकिन जून से अगस्त तक 228.1 मिमी बारिश ही हो सकी है।
गाजियाबाद में सबसे कम बारिश
गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर से बदरा अधिक रूठे रहे। इन जिलों में 70 प्रतिशत से ऊपर बारिश कम दर्ज की गई। वेस्ट यूपी में सबसे कम बारिश गाजियाबाद में हुई है। यहां सामान्य तौर पर 342.5 मिमी बारिश होनी थी, परंतु इस बार 82.5 मिमी बारिश हो सकी। दूसरे नंबर पर गौतमबुद्धनगर रहा। यहां, 75 प्रतिशत बारिश कम हुई। 340.0 मिमी के मुकाबले मात्र 85 मिमी ही बारिश हुई।
पेड़ों का कटान सबसे बड़ी वजह
वेस्ट यूपी में बारिश कम होने का सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग के साथ पेड़ों का कटान भी है। यहां अधिक हाईवे व एक्सप्रेसवे बनाए जा रहे हैं। जिसके लिए लाखों-करोड़ों पेड़ काटे जा रहे हैं। इसी तरह बारिश कम होती रही तो वेस्ट यूपी को एक दिन सूखा क्षेत्र घोषित करना पड़ेगा। - डॉ. एन सुभाष, मौसम वैज्ञानिक
आईओडी का विकसित होना भी कारण
मौसम वैज्ञानिक डॉ. यूपी शाही का कहना है कि नकारात्मक इंडियन ओशन डाइपोल (आईओडी) का विकसित होना इसका मुख्य कारण है। पश्चिमी हिंद महासागर में समुद्री सतहों का तापमान पूर्वी हिंद महासागर की तुलना में ठंडा होता है। इस क्षेत्र में हवाएं बाधित होकर ऑस्ट्रेलिया की ओर बहने लगती हैं। इससे वहां अधिक वर्षा होती है और आमतौर पर भारत में मानसून की वर्षा कम हो जाती है।
जिला और बारिश का ब्योरा
जिला कम हुई बारिश
मेरठ 53 प्रतिशत
बागपत 65 प्रतिशत
हापुड़ 23 प्रतिशत
गाजियाबाद 76 प्रतिशत
बिजनौर 51 प्रतिशत
सहारनपुर 51 प्रतिशत
शामली 58 प्रतिशत
मुजफ्फरनगर 41 प्रतिशत
गौतमबुद्धनगर 75 प्रतिशत
मुरादाबाद 59 प्रतिशत
बुलंदशहर 58 प्रतिशत