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दागदार अफसरों की तैनाती से नगर आयुक्त की कार्य प्रणाली पर उठ रहे सवाल
मेरठ क्राइम न्यूज़: नगर निगम में नलकूप घोटाला हुआ। कोरोना काल में तब यह मामला सुर्खियों में रहा था। जिन इंजीनियरों ने इस घोटाले में नाम सामने आये, वो वर्तमान में मलाईदार सीटों पर जमे हुए हैं। इस घोटाले में सहायक अभियंता दुष्यंत भारद्वाज का नाम भी सामने आया था। जलकल विभाग में सहायक अभियंता के महत्वपूर्ण पद पर वर्तमान में दुष्यंत भारद्वाज जमे हुए हैं। इनको नगर आयुक्त नहीं हटा पा रहे हैं। महत्वपूर्ण सीटों पर दागदार अफसरों की तैनाती नगर आयुक्त की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रही है।
दरअसल, दुष्यंत भारद्वाज कभी नगर निगम में जूनियर इंजीनियर के पद पर तैनात थे। इसी बीच इनका सहायक अभियंता के पद पर प्रमोशन हुआ। इस बीच में नलकूप घोटाला भी सामने आया। तत्कालीन नगर आयुक्त चौरसिया ने दुष्यंत भारद्वाज के लिए लिखा भी था। महत्वपूर्ण बात यह है कि दुष्यंत भारद्वाज जेई से एई भी बन गए और फिर भी मेरठ नगर निगम में ही जमे हुए हैं। प्रोमोशन के बाद नियमानुसार तबादला होना चाहिए, मगर तबादला नहीं हुआ। हालांकि 2021 में इनका तबादला इटावा में हो गया था, लेकिन फिर भी दुष्यंत भारद्वाज को नगर आयुक्त अमितपाल शर्मा ने रिलीव नहीं किया। चर्चा ये है कि नगरायुक्त से दुष्यंत भारद्वाज की गहरी सेटिंग हैं, जिसमें चलते वह इसी नगर निगम में एई के पद पर बने हुए हैं। तबादला होने के बाद भी उनको यहां से रिलीव नहीं किया गया। भ्रष्टाचार में संलिप्तता और फिर एक निश्चित अवधि से ज्यादा समय दुष्यंत का मेरठ नगर निगम में बीत गया है। फिर भी तबादला होने के बाद भी नगर आयुक्त उन्हें रिलीव नहीं कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि दुष्यंत भारद्वाज नगर आयुक्त की विशेष कृपा से नगर निगम में महत्वपूर्ण पद पर जल निगम में जमे हुए हैं। उनको किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है।
क्योंकि नगर आयुक्त के चहेतों में से वह एक है। दुष्यंत भारद्वाज को रिलीव क्यों नहीं किया जा रहा है? नगर आयुक्त से उनकी क्या सेटिंग है? ये कई सवाल ऐसे हैं, जो जवाब मांग रहे हैं। आखिर सरकार के नियमों के विपरीत दुष्यंत भारद्वाज को नगर निगम में ही रोककर रखा गया है। जानबूझकर उनको यहां से रिलीव नहीं किया जा रहा है। इस पूरे प्रकरण में नगर आयुक्त की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।